Author:JYOTI MISHRA Published Date: 08/07/2024
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भगवान किसी विशेष कार्य के लिए महात्माओं और दिव्य पुरुषों की आत्माओं को पुन: जन्म लेने की आज्ञा देते हैं।
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संसार में किए गए पुण्य कर्म के प्रभाव से व्यक्ति की आत्मा स्वर्ग में सुख भोगती है और जब तक पुण्य कर्मों का प्रभाव रहता है वह आत्मा दैवीय सुख प्राप्त करती है। जब पुण्य कर्मों का प्रभाव खत्म हो जाता है तो उसे पुन: जन्म लेना पड़ता है अथवा नर्क में जाना पड़ता है।
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कभी-कभी किसी व्यक्ति के द्वारा अत्यधिक पुण्य कर्म किए जाते हैं और उसकी मृत्यु हो जाती है। तब उन पुण्य कर्मों का फल भोगने के लिए आत्मा पुन: जन्म लेती है।
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कई बार ऐसा होता है हम काफी पाप करते हैं और उन पाप को भोगने के लिए दोबारा जन्म लेना पड़ता है.
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कई बार बदला लेने के लिए आत्मा का पुनर्जन्म होता है.
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कई बार कुछ ऋण हम पर बाकी रहता है जिसे चुकाने के लिए दूसरा जन्म होता है.
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अकाल मृत्यु होने के बाद भी आत्मा का पुनर्जन्म होता है.
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शास्त्रों के अनुसार आत्मा के पुनर्जन्म के संबंध में बताए गए आठ कारणों में से एक कारण है कि आत्मा किसी से बदला लेने के लिए पुनर्जन्म लेती है।
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