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समय के साथ-साथ बच्चे बड़े होते हैं। ऐसे में उनका ब्रेन डिवलपमेंट, शरीर का कद सबकुछ समय के साथ बढ़ता है और एक समय आता है जब वह प्यूबर्टी का सामना करते हैं। जिसमें लड़के और लड़कियों के शरीर में कई तरह के बदलाव होते हैं।
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वैसे तो लड़कियों में 8 से 13 साल के बीच और लड़कों में 9 से 14 साल के बीच प्यूबर्टी की शुरुआत होती है। हालांकि, इन दिनों खाने पीने की गलत चीजों की वजह से बच्चे समय से पहले प्यूबर्टी का सामना कर सकते हैं।
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पैकेट वाली खाने की चीजों में अनहेल्दी फैट होता है। जो हार्मोन संतुलन को रोक सकता है और अर्ली प्यूबर्टी का कारण बन सकता है।
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ज्यादा चीनी वाली चीजों को खाने से इंसुलिन बाधित हो सकता है, जो हार्मोन के स्तर को प्रभावित करता है। ये भी अर्ली प्यूबर्टी का कारण बनता है।
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वैसे तो सोया पौधे-आधारित प्रोटीन का एक बड़ा स्रोत है। हालांकि, बहुत ज्यादा खाने से बच्चे एस्ट्रोजेन जैसे यौगिकों के संपर्क में आ सकते हैं, जो अर्ली प्यूबर्टी को प्रभावित कर सकते हैं।
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ट्रांस फैट, सोडियम और परिष्कृत कार्बोहाइड्रेट से भरपूर, फास्ट फूड हार्मोन इंबेलेंस और समग्र स्वास्थ्य के लिए नुकसानदायक हो सकता है।
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बीपीए युक्त प्लास्टिक से सावधान रहें। इसके अलावा कीटनाशकों और पर्सनल केयर प्रोडक्ट में केमिकल वाले प्लास्टिक से सावधान रहें, क्योंकि ये शरीर के प्राकृतिक विकास में बाधा डाल सकता है।
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ऐसे खाद्य पदार्थ जो ब्लड शुगर के लेवल में तेजी से वृद्धि का कारण बनते हैं वह हार्मोनल असंतुलन और अर्ली प्यूबर्टी का कारण बनते हैं। सफेद ब्रेड, शुगर वाले अनाज और पेस्ट्री जैसी चीजों को खाने से बचें।
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कम मात्रा में अगर बच्चा कैफीन युक्त चीजें लेता है तो ये नुकसानदायक नहीं है, लेकिन अगर सोडा, एनर्जी ड्रिंक या चॉकलेट से ज्यादा कैफीन का सेवन नींद के पैटर्न को बाधित कर सकता है और संभावित रूप से हार्मोन संतुलन को भी प्रभावित कर सकता है।
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