Author: JYOTI MISHRA Published Date: 09/09/2025
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आयुर्वेद में रोगों को दूर करने के लिए कई तरह की जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल किया जाता है। इन्हीं में से एक है खूबकला
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आयुर्वेद में खूबकला के बीजों का उपयोग खांसी, दमा, टाइफाइड आदि रोगों को दूर करने के लिए किया जाता है। खूबकला के बीज सरसों के बीज जैसे दिखाई देते हैं।
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खूबकला को खाकसी, खाकसीर, जंगली सरसों और बनारसी राई के नाम से भी जाना जाता है। अधिकतर लोग खूबकला का इस्तेमाल घरेलू उपायों के तौर पर भी करते हैं।
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कई लोग भूख न लगने की समस्या से परेशान रहते हैं। इसके लिए वे अलग-अलग तरह के टॉनिक का सेवन करते हैं। आप चाहें तो खूबकला से भी अपनी भूख बढ़ा सकते हैं।
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खूबकला के बीज आमाशय को भी शक्ति देता है। दूध के साथ खूबकला के बी लेने से शरीर को शक्ति मिलती है। साथ ही इससे शारीरिक कमजोरी भी दूर होती है।
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आयुर्वेद में टाइफाइड का इलाज करने के लिए खूबकला का उपयोग किया जाता है। टाइफाइड की स्थिति में आप खूबकला का सेवन दो तरह से कर सकते हैं। पहला आप इसे पानी और दूध में पकाकर ले सकते हैं।
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खूबकला पोषक तत्वों से भरपूर होता है। इसके नियमित सेवन से आप अपनी शारीरिक कमजोरी दूर कर सकते हैं। अगर आपका वजन सामान्य से कम है, तो खूबकला का सेवन मुनक्का या दूध के साथ कर सकते हैं।
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खांसी और दमा की स्थिति में भी खूबकला का सेवन किया जा सकता है। सामान्य बुखार में भी खूबकला लाभकारी है। खूबकला गले, फेफड़ों में जमा कफ या बलगम निकालने में मदद करता है।
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आप चाहें तो बवासीर में भी खूबकला का उपयोग कर सकते हैं। खूबकला के बीज का पाउडर बनाएं, इसे पानी या दूध के साथ लें।
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