सभी के लिए प्रथम ईश्वर, शिक्षक, दार्शनिक, मार्गदर्शक और मित्र मां होती है।
वो ही है जो हाथ पकड़ कर हमें चलना सिखाती है।
मां ही हमें बोलना और लिखना सिखाती है।
उसकी महानता और उसके कार्यों का वर्णन करने के लिए जितना कुछ लिखा जाए और जितना कुछ कहा जाए सब कम है।
मां, प्यार और देखभाल का प्रतीक है। मां के आगे देवता भी नतमस्तक हो जाते हैं।
वह मुश्किल समय में बच्चे के लिए सबसे बड़ा सहारा होती हैं।
मां ही वो शख्स है जिसने हमें अपने पैरों पर खड़ा होना सिखाया।
इस दुनिया में ऐसा कुछ भी नहीं है जिसकी तुलना एक मां द्वारा दिए गए प्यार और देखभाल से की जा सके।
मां का प्यार पवित्र और मिलावट रहित होता है। उसका कोई स्वार्थ नहीं है और अपने बच्चों से बिना शर्त प्यार करती
हर मां के प्यार और करुणा का जश्न मनाने और उन्हें महसूस कराने का प्रयास करने का यह एक आदर्श दिन है।