Author: JYOTI MISHRA Published Date: 08/01/2025
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कुंभ 2025 में नागा साधु दिखाई दें रहे है। नागा साधुओं की जिंदगी से जुड़े कई रहस्य होते हैं इसके बारे में लोगों को पता नहीं होता।
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नागा का ईश्वर : शिव के भक्त नागा साधु शिव के अलावा किसी को भी नहीं मानते।
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त्रिशूल, डमरू, रुद्राक्ष, तलवार, शंख, कुंडल, कमंडल, कड़ा, चिमटा, कमरबंध या कोपीन, चिलम, धुनी के अलावा भभूत आदि।
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गुरु की सेवा, आश्रम का कार्य, प्रार्थना, तपस्या और योग क्रियाएं करना।
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नागा साधु सुबह चार बजे बिस्तर छोडऩे के बाद नित्य क्रिया व स्नान के बाद श्रृंगार पहला काम करते हैं। इसके बाद हवन, ध्यान, बज्रोली, प्राणायाम, कपाल क्रिया व नौली क्रिया करते हैं।
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संतों के तेरह अखाड़ों में सात संन्यासी अखाड़े ही नागा साधु बनाते हैं:- ये हैं जूना, महानिर्वणी, निरंजनी, अटल, अग्नि, आनंद और आवाहन अखाड़ा।
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सबसे पहले वेद व्यास ने संगठित रूप से वनवासी संन्यासी परंपरा शुरू की। उनके बाद शुकदेव ने, फिर अनेक ऋषि और संतों ने इस परंपरा को अपने-अपने तरीके से नया आकार दिया। बाद में शंकराचार्य ने चार मठ स्थापित कर दसनामी संप्रदाय का गठन किया। बाद में अखाड़ों की परंपरा शुरू हुई।
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