Author: Jyoti Mishra Published Date: 22/05/2025
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सनातन धर्म में नौतपा का विशेष महत्व है। नौतपा के दौरान सूर्य देव की विशेष पूजा होती है।
25 मई को सुबह 3 बजकर 27 मिनट पर रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करेंगे और 8 जून तक इसी नक्षत्र में विराजमान रहेंगे। इस अवधि को ही नौतपा कहा जाता है।
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नौतपा में प्रचंड गर्मी पड़ती है।
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नौतपा के दौरान प्रतिदिन सुबह उठकर स्नान करें और तांबे के लोटे में जल भरकर, उसमें लाल फूल और अक्षत डालकर सूर्यदेव को अर्घ्य दें.
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“ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं सः सूर्याय नमः” इस सूर्य बीज मंत्र का नियमित रूप से जाप करने से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है.
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आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करना सूर्यदेव को प्रसन्न करने का अचूक उपाय है. इससे तेज, यश और धन की प्राप्ति होती है.
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नौतपा में अपनी क्षमतानुसार गुड़, गेहूं, तांबा, लाल वस्त्र आदि का दान करना अत्यंत शुभ माना जाता है.
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सूर्य को पिता का कारक माना जाता है. इसलिए नौतपा के दौरान अपने पिता का सम्मान करें और उनका आशीर्वाद लें.
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माता-पिता का अपमान नहीं करना चाहिए वरना सूर्य देव नाराज हो जाते हैं और परेशानी आती है.
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नौतपा के दौरान गरीबों को दान देना चाहिए ऐसा करने से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव होता है.
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