Photo Credit: Google
Author:JYOTI MISHRA Published Date: 12/04/2024
हिन्दू धर्म में पूजा-पाठ और तमाम त्योहारों पर महिलाएं श्रृंगार करने के दौरान पैरों में महावर भी लगाती हैं. इतना ही नहीं शादी-विवाह के दौरान भी महावर लगाना जरूरी माना जाता है.
Photo Credit: Google
हिंदू धर्म में सुहागन महिलाएं सोलह सिंगार करती है क्योंकि सोलह सिंगार के बिना सुहागन महिलाएं अधूरी मानी जाती है.
Photo Credit: Google
कई राज्यों में किसी शुभ कार्य और पूजा के दौरान महावर लगाना शुभता का प्रतीक माना जाता है. यही वजह है उत्तर प्रदेश सहित बिहार, ओडिशा और बंगाल जैसी जगहों पर आलता के बिना दुल्हन का श्रृंगार अधूरा माना जाता है.
Photo Credit: Google
महावर को सोलह श्रृंगार का हिस्सा माना जाता है. सुहागन महिलाओं के लिए महावर लगाना जरूरी होता है. सौभाग्य में वृद्धि के लिए होने वाली दुल्हन और कन्याओं को भी आलता लगाया जाता है.
Photo Credit: Google
महावर को मां लक्ष्मी का स्वरूप माना जाता है. इसी वजह से नवजात बच्चियों और कुंवारी कन्याओं के पैरों में भी महावर लगाना शुभ होता है. कई जगहों पर बेटी के जन्म के बाद गृह प्रवेश के समय छाप भी ली जाती है. जिससे घर सुख सम्पन्नता से भरपूर रहे.
Photo Credit: Google
मान्यता के अनुसार महावर को कभी भी दक्षिण दिशा में मुख करके नहीं लगाना चाहिए. इसलिए आलता लगाते समय दिशा का ध्यान जरूर रखें.
Photo Credit: Google
पूजा-पाठ, त्योहार और शादी ब्याह के अवसर पर आलता लगाते समय दिन का भी ध्यान रखना बेहतर होता है. बता दें कि मंगलवार के दिन महावर नहीं लगाना चाहिए. इस दिन आलता लगाना शुभ नहीं माना जाता है.
Photo Credit: Google
वैसे तो शुभ कार्यों के दौरान महावर लगाने का रिवाज ज्यादातर जगहों पर है. लेकिन बंगाल, ओडिशा और बिहार में महावर लगाने की परंपरा बहुत ज्यादा है. यहां महावर लगाए बिना दुल्हन का श्रृंगार अधूरा माना जाता है.
Photo Credit: Google