Author: Deepika Sharma Published Date: 16/08/2024
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माना जाता है कि पूजा करके समय शिवलिंग पर जल चढ़ाने से भोलेनाथ जल्दी प्रसन्न होते हैं और भक्तों की सभी मनोकामाएं पूर करते हैं। लेकिन जल चढ़ाते समय दिशा का ध्यान रखना भी जरूरी है। तभी पूजा का पूर्ण फल प्राप्त होता है।
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शास्त्रों के अनुसार, दक्षिण दिशा में खड़े होकर शिवलिंग पर जल चढ़ाना चाहिए। कभी भी आपका मुख उत्तर, पूर्व या पश्चिम दिशा में नहीं होना चाहिए। इसे शुभ नहीं माना जाता। क्योंकि शास्त्रों के अनुसार, इन दिशाओं में शिव जी की पीठ, कंधा आदि होते हैं।
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दक्षिण दिशा में खड़े होकर जल इस प्रकार चढ़ाएं कि जल उत्तर दिशा की ओर शिवलिंग पर गिरे। इससे महादेव अति प्रसन्न होते हैं। साथ ही इस बात का भी ध्यान रखें कि भगवान शिव को तेज जल की धारा नहीं बल्कि धीरे-धीरे जल चढ़ाना चाहिए।
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शास्त्रों में माना गया है कि शिवलिंग पर अर्पित जल को लांघना नहीं चाहिए। इसलिए शिवलिंग पर जल चढ़ाते के बाद कभी भी पूरी परिक्रमा न करें। जलाभिषेक करते समय स्टील की जगह तांबे या पीतल के पात्र का इस्तेमाल करना उत्तम समझा जाता है।
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अगर आप शिवलिंग पर दूध चढ़ा रहे हैं तो तांबे के लोटे का उपयोग नहीं करना चाहिए। साथ ही इस बात का भी ध्यान रखें कि पूजा करने के बाद अगरबत्ती या धूप शिवलिंग के ऊपर नहीं रखनी चाहिए, बल्कि नीचें रखनी चाहिए।
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शिवलिंग की जलहरी में कभी भी पूजा का सामान नहीं रखना चाहिए और न ही परिक्रमा करते समय जलहरी को डांकना चाहिए। हिंदू मान्यता के अनुसार शिवलिंग की हमेशा आधी परिक्रमा करनी चाहिए
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शिवलिंग की जलहरी में कभी भी पूजा का सामान नहीं रखना चाहिए और न ही परिक्रमा करते समय जलहरी को डांकना चाहिए। हिंदू मान्यता के अनुसार शिवलिंग की हमेशा आधी परिक्रमा करनी चाहिए।
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भगवान शिव की पूजा कभी भी काले रंग के कपड़े पहनकर नहीं करें. भगवान की शिव की पूजा बहुत सरल और शीघ्र फलदायी मानी गई है क्योंकि वे सिर्फ जल और पत्ते को चढ़ाने मात्र से प्रसन्न हो जाते हैं।
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भगवान शिव को कल्याण का देवता माना गया है, जिनकी पूजा करने पर भक्तों के सभी दुख पलक झपकते दूर हो जाते हैं और महादेव की पूरी कृपा बरसती है।
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