श्रीयंत्र धन और समृद्धि की देवी मां लक्ष्मी से जुड़ा है। शास्त्रों के मुताबिक मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने और उनकी कृपा पाने के लिए घर में श्रीयंत्र स्थापित करना चाहिए।
श्रीयंत्र लगाने और नित्य इसकी पूजा करने से घर के साथ-साथ मन में सकारात्मकता का संचार होता है और हर प्रकार की नकारात्मकता दूर होती है।
मान्यता है कि श्रीयंत्र की पूजा करने वाले जातकों पर माता लक्ष्मी बेहद प्रसन्न होती हैं और उनके जीवन में कभी भी धन की कमी होने नहीं देती हैं।
श्री यंत्र में 9 मुख्य और 45 छोटे-छोटे कोण बने होते हैं जो चक्र 9 देवियों का प्रतीक माने जाते हैं। घर में इसे रखने से धन संबंधी परेशानयां दूर होती है।
श्री यंत्र तीन प्रकार के मेरु, भूपृष्ठ और कूर्म पृष्ठ होते हैं। मेरु श्री यंत्र पिरामिड के आकार का होता है। भूपृष्ठ यंत्र जमीन को छूता हुआ और कूर्म पृष्ठ श्री यंत्र कछुआ की पीठ जैसा मुड़ा हुआ होता है।
श्री यंत्र की पूजा से जातक के जीवन धन, वैभव, यश, कीर्ति, ऐश्वर्य और मोक्ष के साथ सद्बुद्धि व विद्या की प्राप्ति होती है।
श्रीयंत्र को पूरे विधि विधान के साथ स्थापित करने और रखने से घर में यश, धन और वैभव की प्राप्ति होती है।
श्रीयंत्र को माता लक्ष्मी का साकार रूप बताया गया है। इसकी पूजा मात्र से धन की प्राप्ति के साथ-साथ जगत की तमाम ऐश्वर्य और सुख-सुविधाओं की प्राप्ति होती है।
जिस तरह हम देवी-देवताओं की प्रतिमा या उनके चित्र की पूजा करते हैं, उसी प्रकार हमें श्रीयंत्र की पूजा करनी चाहिए। श्रीयंत्र की पूजा करते समय भगवान विष्णु की भी अनिवार्य रूप से पूजा करनी चाहिए।
श्री यंत्र के सामने खड़े होकर 'ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं नम:' एवं 'ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्री ह्रीं श्री ॐ महालक्ष्म्यै नम:' मंत्र के जाप से अपार लाभ होता है।
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