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Author: JYOTI MISHRA Published Date: 03/01/2025
द्वापर युग में हनुमान जी गंधमादन पर्वत पर रहने लगे थे. पांडव भी इसी क्षेत्र में अपना वनवास काट रहे थे. एक दिन ऐसा आया जब महाबली भीम की सामना हनुमान जी से हो गया. फिर क्या हुआ आइये जानते हैं.
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त्रेतायुग में भगवान राम के साथ रहे हनुमान जी 7 चिरंजीवियों में से एक हैं. हनुमान जी ने द्वापर युग में भी महत्वपूर्ण भूमिका अदा की. एक बार भीम को जब अपने बल का घमंड हो गया तब हनुमान जी ने भीम का घमंड भी तोड़ा.
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महाभारत काल की एक कथा के अनुसार जब पांडव अपना वनवास काट रहे थे तब द्रौपदी ने भीम से एक खास फूल की मांग की. ये फूल केवल गंधमादन पर्वत पर खिलता था.
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द्रौपदी की इच्छा को पूरा करने के लिए भीम गंधमादन पर्वत की ओर चल दिए. भीम को रास्ते में एक बूढा वानर दिखा जिसकी पूंछ पूरे रास्ते में फैली हुई थी.
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भीम को अपनी ताकत का बहुत घमंड था. उन्होंने बूढ़े वानर से तेज आवाज में कहा कि अपनी पूंछ हटा लो. ये वानर कोई और नहीं बल्कि हनुमान जी थे.
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हनुमान जी समझ गए कि भीम को ताकत और बल का घमंड हो गया है. उन्होंने भीम से कहा कि मैं बूढ़ा हो गया हूं, मुझसे अब इतनी लंबी पूंछ संभाली नहीं जाती. तुम ही इसे किनारे लगा दो.
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भीम ने अपनी पूरी ताकत लगा दी लेकिन हनुमान जी की पूंछ हिला भी नहीं सके. पूंछ हटाने के लिए जब भीम ने पूरा जोर लगाया तो लड़खड़ा कर गिर गए.
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इसके बाद भीम को अपनी गलती का एहसास हुआ. उन्होंने हाथ जोड़ कर क्षमा मांगी और पूछा कि आप कौन हैं? इसके बाद हनुमान जी ने भीम को दर्शन दिए और कहा कि बल का घमंड विनम्रता को समाप्त कर देता है.
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