जया किशोरी का जन्म 13 जुलाई 1995 में कोलकाता में हुआ था। उनके पिता का नाम शिवशंकर शर्मा और माता का नाम सोनिया शर्मा है।
जया किशोरी ने बीकॉम किया है। शुरू से उनका झुकाव अध्यात्म की तरफ था। इसलिए कथावाचक बनने का फैसला उन्होंने किया।
कथावाचक होने के साथ साथ वे युवाओं में काफी लोकप्रिय हैं। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर उनके लाखों प्रशंसक हैं।
जया किशोरी के गुरू गोविंदराम मिश्र थे, जिन्होंने इन्हें राधा नाम दिया। पर श्रीकृष्ण की भक्ति के कारण ‘किशोरीजी’ की उपाधि उन्हें मिली।
उनके अनुसार, प्रसन्नता ही जीवन का सौंदर्य है। आप कितने सुंदर हैं से ज्यादा महत्वपूर्ण आप कितने प्रसन्न हैं, यह मायने रखता है।
वह कहती हैं कि सफल लोगों को हमेशा असफल लोगों द्वारा खिंचाई की जाती है। इसलिए घबराने की जरूरत नहीं है। वह कहती हैं कि जीवन के गुलदस्ते में गंदे विचार काले रंग के समान हैं जो उसकी खूबसूरती को नष्ट कर देते हैं।
विचार हमारे दुषित होते हैं तो इसका प्रभावजीवन की धवलता को उसी तरह सौंदर्य विहीन कर देता है जिस तरह काला रंग सफेद कागज को कर देता है।
जया किशोरी बताती हैं कि दुनिया को जीतने का भरपूर हौसला होना चाहिए क्योंकि एक बार हारने से कोई फकीर नहीं बनता है।
विश्वास हो तो व्यक्ति पहाड़ हिला सकता है, इसी लिए खुद पर और भगवान पर भरोसा रखें और कर्म करने में कसर ना छोड़ें तो सफलता कदम चूमेगी।
कॉन्फिडेंस ये नहीं है कि आप दूसरों से अच्छे हैं। कॉन्फिडेंस तो तब आता है जब आप दूसरों से अपनी तुलना करना बंद कर देते हैं।
जया किशोरी कहती हैं कि अगर भगवान में विश्वास करना है तो सबसे पहले खुद पर विश्वास करना सीखें।
जया किशोरी के अनुसार, कोई व्यक्ति या कोई भी चीज आपकी मानसिक संतुष्टि से बढ़कर नहीं हो सकती है।
वह सफलता के मंत्र बताते हुए कहती हैं कि जीवन में ऊंचाई तक पहुंचने के लिए संयम, निरंतरता और शांत मन:स्थिति सबसे ज्यादा जरूरत होती है।
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