Author: JYOTI MISHRA Published Date: 29/04/2024
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उत्तर से लेकर दक्षिण तक हर विवाहति हिंदू महिला के गले में मंगलसूत्र होता है, जोकि उसके सुहाग की निशानी है.
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मंगलसूत्र को वैवाहिक जीवन का रक्षा कवच भी माना जाता है. मंगलसूत्र का जिक्र आदि गुरु शंकराचार्य की पुस्तक ‘सौदर्य लहरी’ में भी मिलता है.
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मंगलसूत्र को लेकर अलग-अलग मान्यताएं प्रचलित हैं. एक मान्यता यह भी है कि, मंगलसूत्र में 9 मनके होते हैं, जोकि ऊर्जा का प्रतीक है और मां भगवती के नौ रूपों का प्रतिनिधित्व करते हैं. इन 9 मनकों को पृथ्वी, जल, वायु और अग्नि का प्रतीक माना जाता है.
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वहीं इतिहासकारों की माने तो मंगलसूत्र पहनने की शुरुआत छठी शताब्दी से हुई. क्योंकि इसके साक्ष्य मोहन जोदाड़ों की खुदाई में भी पाए गए.
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हिंदू धर्म में विवाह के बाद हर स्त्री गले में मंगलसूत्र पहनती है. इसे पति की लंबी आयु और सुहाग की रक्षा से जोड़ा जाता है.
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यह भी माना जाता है कि स्त्री के मंगलसूत्र पहनने से कुंडली में मंगल ग्रह मजबूत होते हैं या मंगल दोष दूर होता है.
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मंगलसूत्र अधिकतर सोने का ही पहना जाता है. ज्योतिष के अनुसार सोने का संबंध बृहस्पति से होता है और गुरु सुखी व खुशहाल वैवाहिक जीवन के कारक ग्रह माने जाते हैं. वहीं सोना पहनने से सूर्य भी मजबूत होते हैं.
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मंगलसूत्र की काली मोतियों का संबंध शनि ग्रह से होता है. शनि जोकि स्थायित्व के प्रतीक हैं. ऐसे में सोने और काली मोतियों से बना मंगलसूत्र पहनने से सूर्य, गुरु और शनि का शुभ प्रभाव वैवाहिक जीवन पर पड़ता है.
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