चित्रकूट में धार्मिक पर्यटन के साथ-साथ सांस्कृतिक व ऐतिहासिक स्थलों में रुचि रखने वाले यात्रियों की लगभग पूरे साल भीड़ लगी रहती है।
चित्रकूट का पहला ज्ञात उल्लेख वाल्मीकि रामायण में है। महाकवि कालिदास ने अपने महाकाव्य 'रघुवंश’ में इस स्थान का सुंदर वर्णन किया है।
चित्रकूट का यहां का बड़ा हिस्सा उत्तर प्रदेश के चित्रकूट और मध्य प्रदेश के सतना जनपद में शामिल है।
यहां मंदाकिनी जलधारा पर जीवंत होती रामकथा सैलानियों को प्रत्येक शाम जमघट रहती है। मठ, मंदिरों पर रंग बिरंगी रोशनी आकर्षण बिखेरती है।
चित्रकूट में हनुमान मंदिर एक विशाल चट्टान के ऊपर स्थित है। कई पगों की खड़ी चढ़ाई के बाद मंदिर पहुंचते हैं।
राम मंदिर एक ऐसा अनोखा मंदिर है जहां पूजा और प्रसाद वर्जित हैं। परिसर में प्रवेश करने के लिए प्रवेश टिकट आवश्यक है।
यहां आप दशरथ घाट की सैर कर सकते हैं, मऊ के लालता रोड होकर खंडेहा मार्ग पर यह स्थल स्थित है।
मान्यता है कि दशरथ घाट पर भगवान के चरण चिह्न अब तक अंकित हैं, जिसे वर्तमान में दशरथ घाट के नाम से जाना जाता है।
रतकूप व भरत मिलाप मंदिर भी लोकप्रिय हैं यहां, यह दोनों स्थल भगवान राम को मनाने आने पर भरत और प्रभु के मिलन से जुड़े हैं।
चित्रकूट में शबरी जल प्रपात प्रकृति की अनुपम देन है। यह चित्रकूट के कर्वी से 28 किलोमीटर दूर मानिकपुर कस्बे के करीब स्थित है।
चित्रकूट के राजापुर में राम चरित मानस के रचयिता गोस्वामी तुलसी दास की जन्मस्थली यमुना तट पर है।
तुलसी जन्म कुटीर मंदिर में वर्तमान में भी उनकी हस्तलिपि में रामायण के कुछ अंश रखे हैं।
वन क्षेत्र होने के कारण लकड़ी से जुड़े काम करने वाले कारीगर यहां बहुतायत में हैं। यहां के लकड़ी के खिलौने दुनिया भर में प्रसिद्ध हैं।
दिल्ली से चित्रकूट के लिए निकटतम हवाई अड्डे खजुराहो मध्यप्रदेश, यूपी में प्रयागराज, वाराणसी, कानपुर और लखनऊ हैं।
दिल्ली से चित्रकूट के लिए निकटतम हवाई अड्डे खजुराहो मध्यप्रदेश, यूपी में प्रयागराज, वाराणसी, कानपुर और लखनऊ हैं।
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