18 मई की रात 9 बजकर 42 मिनट पर अमावस्या की तिथि लगेगी, जो कि 19 मई रात 9 बजकर 22 मिनट तक रहेगी, ऐसे में 19 मई के दिन ही इस पूजन और व्रत को महिलाएं रखेंगी ।
सुहागिन महिलाओं के लिए वट सावित्री का पूजन और व्रत विशेष होता है ।
पति की लम्बी आयु की कामना के लिए इस दिन सुहागिन महिलाएं पूरे दिन व्रत रखती हैं ।
व्रत के साथ ही महिलाएं इस दिन वट वृक्ष के नीचे पूजा के साथ कथा सुनती हैं ।
ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि को व्रत सावित्री व्रत रखा जाता है ।
इस बार 19 मई को सुहागिन महिलाएं इस व्रत को रखेंगी ।
मान्यता है कि व्रत सावित्री व्रत से करवा चौथ के व्रत के बराबर फल मिलता है।
वट सावित्री पूजन के दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर सुहागिन महिलाओं को स्नान करने के बाद सोलह श्रृंगार करना चाहिए ।
इसके बाद भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का ध्यान कर व्रत का संकल्प लें।
इस दौरान श्रृंगार का सामान, ऋतु फल और कच्चे सूत के धागे को वट वृक्ष के तने में बांधकर कम से कम 7 चक्कर लगाने चाहिए ।
इस व्रत से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
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