Ganesh ji ke divya roop

बाल गणपति

ये चतुर्भुज गणपति हैं । इनके चारों हाथों में केला, आम, कटहल, ईख तथा सूंड में मोदक होता है। यह गणपति  प्रतिमा अरुण वर्णीय लाल आभायुक्त होती है। निःसंतान दम्पत्ति इनकी आराधना से सन्तान सुख प्राप्त करते हैं।

शक्ति गणपति

इस प्रतिमा की बाईं ओर सुललित ऋषि देवी विराजमान होती हैं । जिनकी देह का रंग हरा है । संध्याकाल की अरुणिमा के समान धूमिल वर्ण वाले इन गणपति के दो ही भुजाएं हैं । सुख-समृद्धि, भरपूर कृषि व अन्य शान्ति कार्यों के लिए इनका पूजन अत्यन्त शुभ माना गया है ।

द्विज विघ्नेश्वर

गणपति की इस प्रतिमा के चार मुख तथा चार ही भुजाएं होती हैं। ये अपने बाएं हाथ में पुस्तक, दाहिने हाथ में रुद्राक्ष की जयमाला तथा शेष दो हाथों में कमण्डल व योगदण्ड धारण करते हैं । विद्या प्राप्ति तथा योगसिद्धि के लिए साधक लोग इनकी शरण लेते हैं ।

सिद्धि पिंगल गणपति

श्री संस्मृति नामक देवी के साथ प्रतिष्ठिापित इस गणपति विग्रह के आठ हाथों में से दो हाथ वरद एवं अभयमुद्रा प्रदर्शित करते हैं।स्वर्णिम वर्ण वाले इस गणपति स्वरूप को पिंगल विघ्नेश्वर भी कहा जाता है। यह तुरन्त सिद्धि प्रदान करने वाला प्रसिद्ध है।

उच्छिष्ठ गणपति

छः भुजाओं से युक्त यह गणपति विग्रह अपने बाएं हाथ में वीणा, दाहिने हाथ में रुद्राक्ष माला और शेष चार हाथों में कवलय पुष्प, अनार, धान की बाली व पाश संभाले हुए है। हरापन लिए हुए काले रंग की यह गणपति प्रतिमा खड़े हुए गणपति की है। कार्यसिद्धि व अपने आराध्य के विघ्न और शत्रुनाश के लिए ये गणपति उतावले हुए रहते हैं।

विघ्नराज गणपति

स्वर्णिम शरीर व बारह भुजाओं से युक्त यह गणपति प्रतिमा अपने हाथों में क्रमशः शंख, ईख, पुष्प, धनुष, बाण, कुल्हाड़ी, पाश, अंकुश, चक्र, हाथी, दांत, धान की बाली तथा फूलों की लड़ी लिए रहती है । इनका पूजन किसी भी शुभ कार्य के प्रारंभ में करना अत्यन्त लाभदायक होता है।

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क्षिप्र गणपति

चतुर्भुज रूप वाला यह गणपति विग्रह अपने चारों हाथों में हाथी दांत, कल्पलता, पाश और अंकुश धारण किए हुए है। उनकी आकृति खड़े हुए रूप में होती है ।  इनका रंग तेज लाल होता है। धन, सम्पत्ति व कीर्ति प्रदान करने में ये अत्यन्त समर्थ माने गए हैं।

हेरम्ब विघ्नेश्वर

बारह भुजाओं से युक्त हेरम्ब गणपति की प्रतिमा का दाहिना हाथ अभय मुद्रा व बायां हाथ वरद मुद्रा प्रदर्शित करता है।  सिंह पर सवार हरेम्ब गणपति के पांच मुख हैं। इनके देह का वर्ण श्वेत है । संकट मोचन तथा विघ्ननाश के लिए ये अत्यन्त प्रसिद्ध हैं ।

लक्ष्मी गणपति

गणपति की इस प्रतिमा के दोनों पार्श्वों में रिद्धि-सिद्धि नामक दो देवियां विराजमान होती हैं ।  देवियों के हाथों में नील कुमुद होते हैं। सुख, समृद्धि की कामनापूर्ण करने के लिए लक्ष्मी गणपति अति प्रसिद्ध हैं।

नृत्य गणपति

पीत वर्ण की देह वाली इस प्रतिमा का स्वरूप छः भुजाओं से युक्त है ।  छठवें हाथ से ताल-लय के अनुसार अपनी सूंड को थपथपाते संगीत का आनन्द लेने की मुद्रा में एक पांव पर खड़े हुए, दूसरे पांव को नृत्य की मुद्रा में उठाए प्रसन्न मन से नृत्य कर रहे हैं।

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