स्पेन के सेविले कैथेड्रल में मिली 500 साल पुरानी हड्डियों के रहस्य का खुलासा हो गया है। डीएनए विश्लेषण से वैज्ञानिकों ने पुष्टि की है कि ये हड्डियां क्रिस्टोफर कोलंबस की हैं। इस खोज ने आखिरकार यह साबित कर दिया कि कोलंबस को वास्तव में सेविले में दफन किया गया था। इस शोध के लिए पिछले दो दशकों से विशेषज्ञों ने इन नमूनों के डीएनए की तुलना कोलंबस के रिश्तेदारों और वंशजों के डीएनए से की, जिसके बाद यह अभूतपूर्व खोज संभव हो पाई। क्रिस्टोफर कोलंबस की मृत्यु 1506 में हुई थी, लेकिन उनके अवशेषों को कई बार स्थानांतरित किया गया था।
पहले माना जाता था कि उन्हें डोमिनिकन रिपब्लिक में दफनाया गया था, जिससे उनके वास्तविक अवशेषों को खोजने का सवाल उठा। इस शोध का नेतृत्व फॉरेंसिक वैज्ञानिक मिगुएल लोरेंट ने किया। उन्होंने कहा कि नई तकनीक के जरिये यह पुष्टि संभव हो सकी है कि सेविले कैथेड्रल में मिली हड्डियां कोलंबस की ही हैं। पहले माना जाता था कि कैथेड्रल के मकबरे में कोलंबस का शव था, लेकिन यह सही नहीं था।
ये भी पढ़ें-वैज्ञानिकों की चेतावनी-मंगल ग्रह पर घातक होगा जीवन, मनुष्य का रंग…
2003 में मिगुएल लोरेंट और इतिहासकार मार्शियल कास्त्रो ने इस मकबरे को खोला था, जहां अज्ञात मानव हड्डियां मिली थीं। उस समय डीएनए तकनीक इतनी उन्नत नहीं थी कि छोटे आनुवंशिक नमूनों का सटीक विश्लेषण किया जा सके। इसलिए, शोधकर्ताओं ने कोलंबस के बेटे हर्नांडो और भाई डिएगो के अवशेषों का अध्ययन किया, जिनकी हड्डियां भी सेविले कैथेड्रल में ही दफन थीं।
कोलंबस इटली के एक प्रसिद्ध खोजकर्ता थे, जो यूरोप से एशिया का सीधा समुद्री मार्ग खोजने निकले थे। स्पेन के राजा फर्डिनेंड और रानी इसाबेला ने उनकी यात्रा को वित्तीय सहायता दी थी। 1492 में अपने तीन जहाजों के साथ यात्रा पर निकले कोलंबस ने एशिया की बजाय उत्तरी अमेरिका को खोज निकाला, जिसके बारे में तब तक बहुत कम जानकारी थी।