Indira Gandhi Emergency Sheikh Mujibur Rahman Assassination: तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी 15 अगस्त 1975 को लाल किले भाषण देने जा रही थीं, तभी उनके प्रोटोकॉल चीफ उन्हें खबर दी की बांग्लादेश में शेख मुजीबुर रहमान समेत उनके परिवारों की हत्या कर तख्तापलट की खबर दी गई है। इमरजेंसी खत्म करने का ऐलान करने जा रहीं आयरन लेडी इस खबर से भीतर तक हिल गईं।
बांग्लादेश में बगावत और तख्तापलट की 1975 की कहानी एक बार फिर वर्ष 2024 में दोहराई जा रही है। वर्ष 1975 बांग्लादेश और भारत के इतिहास में काफी अहम है। 15 जून 1975 को ही भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने देश में इमरजेंसी लगाई थी और दावा किया जाता है कि बांग्लादेश में वर्ष 1975 में तख्तापलट और उसके बाद शेख मुजीबुर्रहमान की परिवार समेत हत्या का भारत में आपातकाल के लंबा खींचने से गहरा नाता है। दावा है कि अपने मित्र मुजीबुर्रहमान की हत्या की वजह से इंदिरा गांधी ने 2 महीने की जगह भारत में इमरजेंसी को 2 वर्ष लंबा खींचा।
बांग्लादेश की तकदीर में क्या ?
आज बांग्लादेश उस शेख मुजीबुर्रहमान की बेटी शेख हसीना के मुल्क छोड़ने पर जश्न मना रहा है जिस मुजीबुर्रहमान ने 1971 में बांग्लादेश को पाकिस्तान से आजाद कराने में बड़ी भूमिका निभाई थी। बांग्लादेश की तकदीर में पता नहीं क्या लिखा है। पहले शेख मुजीबुर रहमान की हत्या कर दी गई और एक बार फिर शेख हसीना मुल्क छोड़ने पर मजबूर हो गई लेकिन बांग्लादेश में जब जब बगावत ने इस तरीके से सिर उठाया, उसका असर भारत पर भी देखा गया। वर्ष 1975 में शेख मुजीबुर रहमान की हत्या और वहां हुए तख्तापलट का ऐसा ही एक किस्सा जुड़ता है भारत में इमरजेंसी की घोषणा से।
15 अगस्त 1975 को इमरजेंसी हटाना चाहती थीं इंदिरा गांधी
वो तारीख थी 15 अगस्त 1975 भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी लाल किले से देश संबोधित करने जा रही थीं। इससे पहले इंदिरा गांधी ने 25 जून 1975 को देश में इमरजेंसी की घोषणा कर चुकी थीं। लेकिन इंदिरा गांधी इमरजेंसी को 2 महीने से ज्यादा लंबा नहीं खींचना चाहती थीं। स्पेनिश लेखक जेवरियर मोरो ने अपनी किताब ‘द रेड सारी’ नाम की किताब में दावा किया गया है कि इंदिरा गांधी 15 अगस्त 1975 को उसी स्थान और समय पर आपातकाल हटाने की घोषणा करना चाहती थीं जहां उनके पिता ने 28 साल पहले आजादी के मौके पर अपना मशहूर भाषण दिया था।
किताब ‘द रेड सारी’ में आपात काल पर बड़ा खुलासा
ऐसे में सवाल उठता है कि फिर ऐसा क्या हुआ कि इंदिरा गांधी ने देश में इमरजेंसी खत्म करने के बजाए इसे और लंबा खींचने का मन बना लिया। जेवियर मोरो ने अपनी किताब ‘द रेड सारी’ में इस पर विस्तार से चर्चा की है। जेवियर मोरो ने अपनी किताब में दावा किया गया है कि जब इंदिरा गांधी लाल किले की ओर भाषण देने जा रही थीं तब उनके प्रोटोकॉल चीफ ने ऐसी खबर दी जिसने उन्हें भीतर तक हिला कर रख दिया था।
इंदिरा गांधी को बांग्लादेश में तख्तापलट की खबर
इंदिरा गांधी के प्रोटोकॉल चीफ ने तब उन्हें बताया था कि उनके मित्र और बांग्लादेश के राष्ट्रपति शेख मुजीबुर रहमान का तख्तापलट कर दिया गया है और परिवार के सदस्यों के साथ उनकी हत्या कर दी गई है। मुजीबुर रहमान की पत्नी, तीन बेटों, बहुओं और दो भतीजों को जान से मार दिया गया है।
मुजीबुर रहमान की हत्या की खबर से हिल गईं इंदिरा
जेवियर मोरो के मुताबिक अपने दोस्त शेख मुजीबुर रहमान और उनके परिवार वालों की हत्या की खबर से इंदिरा गांधी बेहद असुरक्षित महसूस करने लगीं थीं और उनके मन में असुरक्षा का भाव भर गया। इंदिरा गांधी को यकीन होने लगा था कि उन्हें ही अब अगला निशाना बनाया जाएगा। दावा है कि RAW चीफ ने भी यही बताया था कि उन्हें ऐसे कई साजिशों का पता चला जिसके टारगेट पर इंदिरा गांधी थीं।
असुरक्षित महसूस करने लगीं थीं इंदिरा
इसके बाद से ही दावा किया जाता है कि इंदिरा गांधी को ऐसा लगने लगा था मानों हर साये के पीछे कोई दुश्मन छिपा है। उस वक्त के सियासी हालात के पन्ने अगर पलटें तो दावा किया जाता है कि इंदिरा गांधी तब ऐसे दुष्चक्र में उलझ गई थीं जिससे बाहर निकलने का उन्हें रास्ता नहीं दिख रहा था।
घर में भी इंदिरा को लगने लगा था डर
द रेड सारी किताब के लेखक जेवियर मोरो का दावा है कि तब इंदिरा गांधी भीड़ में खुद को सुरक्षित महसूस करती थीं और घर में ही उन्हें डर लगने लगा था। यहां तक कि इंदिरा गांधी को सत्ता छीनने का खौफ सताने लगा था और तो और अनेक मोर्चों पर संघर्ष करते हुए मनपसंद नतीजे ना पाने से वो कुंठित थीं।
खौफ के साए में आयरन लेडी
दावा किया जाता है कि आयरन लेडी की छवि के बावजूद अपनी सुरक्षा को लेकर चिंतित इंदिरा गांधी ने इमरजेंसी की दिक्कतों को समझते हुए भी तब इसे तुरंत हटाने का फैसला नहीं लिया। हालांकि भारत की राजनीति में उनके इस फैसले की कई अलग-अलग वजहें भी बताई जाती रही हैं।
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