Israel Hamas War: इजरायल और हमास के पिछले साल 7 अक्टूबर से युद्ध जारी है। अमेरिका समेत कई देशों की कोशिशों के बावजूद तकरीबन 11 महीने से जारी तनाव फिलहाल खत्म होता नहीं दिख रहा है। एक आंकड़े के मुताबिक इस युद्ध में अब तक गाजा में 40,000 से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं। इस बीच गाजा पट्टी में इजरायली सेना लगातार अपनी पकड़ मजबूत बनाता जा रहा है। वहीं हमास की हेकड़ी धीरे-धीरे कम होती जा दिख रही है।
बताया जा रहा है कि ईरान की राजधानी तेहरान में हमास के सबसे बड़े नेता इस्माइल हानिया की मौत के बाद हालात तेजी से बदले हैं। इजरायली सेना IDF और शिन बेट के एजेंट्स हमास की बागडोर संभाल रहे याह्या सिनवार के करीब पहुंचते जा रहे हैं। ऐसे में बताया जा रहा है कि याह्या सिनवार के बचने की संभावनाएं भी दिन प्रति दिन कम होती जा रही है। इसी आशंका के कराण हमास का नया चीफ सिनवार गाजा में कहीं छिपा बैठा है।
इस बीच हमास के टॉप कमांडर और खूंखार आतंकी खालिद मशाल (Khaled Mashaal) ने इजरायल के लिए एक नया सिरदर्द बन गया है। हमास आतंकी खालिद मशाल ने इजरायल को बड़े हमले की धमकी दी है। इस्तांबुल में एक रैली में संबोधित करते हुए खालिद मशाल ने अपने लड़ाकों और फिलिस्तीन समर्थकों से इजरायल में घुसकर आत्मघाती हमला करने का आह्वान किया है। अरबी मीडिया में चल रही खबरों के मुताबिक खालिद मशाल ने अपने समर्थकों से इजरायल के पश्चिमी तट पर फिर से आत्मघाती हमले की अपील की है।
खालिद मशाल हमास का वही आतंकी है जिसे इजरायल जहर देकर जान से मारने की कोशिश की थी। लेकिन बाद में अमेरिका के दखल के बाद इजरायल ने ही इसे बचाया था। दरअसल प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के इशारे पर इजरायली खुफिया एजेंसी मोसाद ने 25 सितंबर 1997 को उसकी हत्या की कोशिश की थी। मोसाद एजेंट नकली कनाडाई पासपोर्ट पर पर्यटक बनकर जॉर्डन पहुंचे और हमास के दफ्तर में मौका पाकर खालिद मशाल के कान पर जहर जैसा कुछ लगा दिया। इसके बाद उसके पूरे शरीर में जहर पहुच गया। मशाल को तत्काल अस्पताल में भर्ती कराया गया लेकिन उसकी स्थिति लगातार बिगड़ती जा रही थी। इस बीच जॉर्डन की पुलिस ने खालिद पर हमले में शामिल मोसाद के कुछ एजेंट्स को गिरफ्तार कर दिया।
खालिद मशाल की स्थिति बिगड़ता देश जॉर्डन के तत्कालीन राजा हुसैन को डर हो गया कि अगर उसकी मौत हो जाती है तो उसके देश में गृहयुद्ध छिड़ सकता है। ऐसे में जॉर्डन के राजा हुसैन ने इजयाली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू से जहर से बचाव के दवा की मांगी और ऐसा न करने पर राजनयिक संबंध तोड़ने के साथ-साथ मोसाद के पकड़े गए एजेंट्स पर केस चलाने की भी धमकी दी। बाद अमेरिका के तत्काली राष्ट्रपति बिल क्लिंटन की दखल के बाद नेतन्याहू को मशाल को बचाने के लिए जहर का एंटी डोज देने के लिए तैयार होना पड़ा। इस तरह इजराइली हमले और फिर उसी की दवाई से खालिद मशाल जिंदा बच गया।
बताया जाता है खालिद मशाल का जन्म साल 1956 में जॉर्डन शासित वेस्ट बैंक के सिलवाड में हुआ था। उसके पिता का नाम अब्द अल-कादिर मशाल था जो पेशे से पहले एक किसान थे और बाद में इमाम बन गए थे। 1967 के इजरायल-अरब के बीच हुए सिक्स डे वॉर के बाद जब इजरायल ने वेस्ट बैंक पर कब्जा कर लिया तो मशाल का परिवार वहां से भाग कर जॉर्डन पहुंच गया। यहीं उसकी शिक्षा हुई और बाद में वह मुस्लिम ब्रदरहुड में शामिल हो गया।
बताया जाता है कि मशाल ने 19 साल की उम्र में पहली बार 1975 में दो महीने के लिए फिलिस्तीन के दौरे पर गया। ग्रेजुएशन के बाद मशाल ने 1984 तक कुवैत में बतौर शिक्षक नौकरी की। जब इराक ने अगस्त 1990 में कुवैत पर हमला किया, तो वह हमास के आतंकियों के साथ जॉर्डन वापस चला गया। अब वही खालिद मशाल इजरायल के लिए नासूर बनता जा रहा है।
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