Mount Everest: आख‍िर क्‍यों लगातार बढ़ रही है विश्व की सबसे ऊंची चोटी की ऊँचाई? 

Mount Everest Height Increasing: माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई लगातार बढ़ रही है। वैज्ञानिकों के अनुसार, हर साल माउंट एवरेस्ट कुछ मिलीमीटर ऊंचा हो जाता है। आखिर इसकी वजह क्या है? माउंट एवरेस्ट दुनिया की सबसे ऊंची चोटी कैसे बना? आइए इस पर विस्तार से जानें। 

Mount Everest Height Increasing: माउंट एवरेस्ट को दुनिया की सबसे ऊंची चोटी का दर्जा मिला हुआ है, और इसकी ऊंचाई लगातार बढ़ती जा रही है। हालिया माप के अनुसार, माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई अब 8.85 किलोमीटर हो चुकी है, जबकि पहले यह 8.84 किलोमीटर थी। इस ऊंचाई में हो रही वृद्धि का मुख्य कारण पृथ्वी की भूगर्भीय गतिविधियाँ और जलवायु परिवर्तन हैं। वैज्ञानिकों के अनुसार, हर साल माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई में कुछ मिलीमीटर की वृद्धि होती है। आइए विस्तार से जानें कि ऐसा क्यों हो रहा है।

भारतीय प्लेट और यूरेशियन प्लेट का टकराव

माउंट एवरेस्ट का निर्माण भारतीय और यूरेशियन प्लेटों के टकराव के परिणामस्वरूप हुआ था। लगभग 50 लाख साल पहले भारतीय उपमहाद्वीप की प्लेट उत्तर दिशा में बढ़ते हुए यूरेशियन प्लेट से टकराई थी। इस टकराव से हिमालय पर्वत श्रृंखला का निर्माण हुआ, जिसमें माउंट एवरेस्ट सबसे ऊंची चोटी के रूप में उभरा। यह टेक्टोनिक प्लेटें आज भी धीमी गति से एक-दूसरे से टकरा रही हैं, जिससे माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई हर साल थोड़ी-थोड़ी बढ़ रही है। वैज्ञानिक अनुमान लगाते हैं कि हर साल माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई 0.01 से 0.02 इंच तक बढ़ती है।

नदियों का संगम

89,000 साल पहले दो प्रमुख नदियों, अरुण और कोसी, का संगम हुआ था, जिसका भी माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई पर गहरा प्रभाव पड़ा। इस संगम के बाद कोसी नदी का बहाव तेज हो गया, जिससे उसने आसपास की चट्टानों को काटना शुरू किया। इस भूगर्भीय प्रक्रिया के परिणामस्वरूप माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई में अचानक 15-50 मीटर तक की वृद्धि देखी गई थी। यह घटना माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई में तेजी से बदलाव का एक प्रमुख उदाहरण मानी जाती है।

आइसोस्टेटिक रिबाउंड प्रक्रिया

माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई बढ़ने की प्रक्रिया को भूविज्ञान में “आइसोस्टेटिक रिबाउंड” के रूप में जाना जाता है। इस प्रक्रिया में, जब पृथ्वी से कोई भारी वस्तु या द्रव्यमान हटा लिया जाता है, तो उसकी सतह धीरे-धीरे ऊपर उठने लगती है। कोसी और अरुण नदियों के विलय के बाद, जब कोसी का बहाव तेज हुआ, तो उसने माउंट एवरेस्ट के आसपास की चट्टानों को काटकर हल्का कर दिया। इसके कारण माउंट एवरेस्ट की नींव कमजोर हुई और पर्वत की ऊंचाई में वृद्धि होने लगी। यह भूगर्भीय प्रक्रिया माउंट एवरेस्ट को ऊंचा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।

स्कैंडिनेविया का उदाहरण

माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई में हो रही वृद्धि का उदाहरण पहले स्कैंडिनेविया में देखा गया था। स्कैंडिनेविया के पहाड़ों पर बर्फ की मोटी परत जमी थी, लेकिन जब हिमयुग समाप्त हुआ और बर्फ पिघलने लगी, तो वहां के पहाड़ धीरे-धीरे ऊंचे होने लगे। यह प्रक्रिया आज भी जारी है और इसे आइसोस्टेटिक रिबाउंड का प्रभाव कहा जाता है। इसी प्रकार की प्रक्रिया माउंट एवरेस्ट और हिमालय की अन्य चोटियों पर भी लागू हो रही है।

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