
Pakistani Soldier’s: पाकिस्तानी फौज में पंजाबियों का दबदबा देखने को मिलता है। लेकिन पंजाबी फौज खतरनाक बॉर्डर इलाकों में पोस्टिंग नहीं पाना चाहते हैं। भारत से लड़ने की बात आते ही यह फौजी इस्तीफा देने लगे हैं। अपने खुद की फौज से धोखा खाने के बाद पाकिस्तान भारत से लड़ने के लिए कई तरह के हथकंडे अपना रहा है। इस टाइम पाकिस्तान सरकार अपनी फौज में सैनिकों की कमी से जूझ रही है। यहां के सैनिक खतरनाक इलाकों में पोस्टिंग नहीं पाना चाहते हैं क्योंकि दशकों से उनका शोषण किया जा रहा है।
बलूचिस्तान, नॉर्थ वजीरिस्तान, खैबर पख्तूनख्वा जैसे क्षेत्र के लोग पाकिस्तानी फौज और सरकार से काफी परेशान है क्योंकि शाहबाज सरकार लगातार यहां के लोगों पर जुल्म करती आ रही है। यहां के लोगों का पाकिस्तानी फौज में जबरदस्ती भर्ती किया जा रहा है लेकिन लोगों ने इसका विरोध करना शुरू कर दिया है। बलूचिस्तान, नॉर्थ वजीरिस्तान के लोगों का कहना है कि पाकिस्तान सरकार हमारा इस्तेमाल कर रही है। जैसे ही लोगों ने फौज में शामिल होने से मना किया उसके बाद सरकार का होश उड़ गया।
पाकिस्तानी फौज का घिनौना चेहरा हुआ बेनकाब (Pakistani Soldier’s)
पाकिस्तानी फौज का घिनौना चेहरा एक बार फिर से बेनकाब हो गया है। पाकिस्तान के पंजाबी सैनिक खतरनाक सीमावर्ती इलाकों में तैनाती से कतरा रहे हैं। कई सैनिक और बड़े अधिकारी अभी तक इस्तीफा दे चुके हैं ऐसे में पाकिस्तानी सैन्य मुख्यालय ने पेशावर कोर कमांडर को सख्त निर्देश दिया है कि भारत-पाक सीमा पर सैनिकों की भारी कमी पूरा करने के लिए शोषित इलाकों के लड़कों को फौज में भर्ती कर रहा है। यह वही पाकिस्तान है जो भारत के सुख समृद्धि और शांति से जलता है और आतंकवाद के जरिए भारत को परेशान करने की कोशिश करता है। आज इसी पाकिस्तान में पाकिस्तानी लोग सरकार का विरोध करने लगे हैं।
पाकिस्तानी सेना के द्वारा अपने साजिश को अंजाम देने के लिए रिटायर्ड अफसर को भी मैदान में उतारा जा रहा है। इन सभी अफसर को निर्देश दिया गया है कि वह गरीब क्षेत्र के लड़कों को फौज में जबरदस्ती भरती करें। इनका मकसद किसी भी तरह भारत को परेशान करना है। इन अफसर में मुख्य रूप से आठ अफसर हैं जिन्हें जाति के आधार पर चयनित किया गया है। यह सभी अवसर बहला फुसलाकर लड़कों को फौज में भर्ती करेंगे और पाकिस्तानी सेना अपनी ताकत बढ़ाएगी।
खटक जनजाति के लिए रिटायर्ड जनरल खालिद रब्बानी, बलूचिस्तान के क्वेटा और पिशिन में दुर्रानी जनजाति के लिए पूर्व आर्मी चीफ जनरल अब्दुल वाहिद काकर, नॉर्थ वजीरिस्तान के बानू में बनोची और डाबर जनजाति के लिए लेफ्टिनेंट जनरल आलम जन महसूद, ओरकजई जनजाति के लिए रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल अली जान ओरकजई, खैबर जिले में अफरीदी जनजाति के लिए मेजर जनरल राहत अमानुल्लाह अफरीदी, और स्वात, मर्दन, मालाकंद में यूसुफजई जनजाति के लिए ब्रिगेडियर शेर अफजल खान शामिल हैं. इन रिटायर्ड अधिकारियों को आदिवासी रीति-रिवाजों और संवेदनशीलताओं का हवाला देकर स्थानीय लोगों को बहला-फुसलाकर या जबरन भर्ती करने का जिम्मा सौंपा गया है।
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