Russia-Ukraine War: रूस के हमले की चेतावनी, कीव में अमेरिकी दूतावास बंद किया गया

Russia-Ukraine War: यूक्रेन ने रूस पर अमेरिका में निर्मित मिसाइलों से हमला किया है, जिसके बाद रूस द्वारा पलटवार की संभावना जताई जा रही है। इस स्थिति को ध्यान में रखते हुए, कीव में स्थित अमेरिकी दूतावास को अस्थायी रूप से बंद कर दिया गया है।

Russia-Ukraine War: रूस और यूक्रेन के बीच चल रही जंग में एक नया मोड़ आया है। यूक्रेन ने हाल ही में अमेरिकी निर्मित लंबी दूरी की मिसाइलों से रूस पर हमला किया है। इस हमले के बाद, रूस भड़क उठा है और माना जा रहा है कि अब रूस की तरफ से बड़े पैमाने पर पलटवार हो सकता है।

कीव में अमेरिकी दूतावास की सुरक्षा चेतावनी

यूक्रेन द्वारा किए गए इस हमले के बाद, कीव स्थित अमेरिकी दूतावास ने सुरक्षा कारणों से अपने संचालन को बंद करने का निर्णय लिया है। दूतावास ने एक बयान जारी कर कहा कि उसे रूसी हवाई हमले की संभावना के बारे में महत्वपूर्ण चेतावनी मिली है। इसके चलते दूतावास ने अपने कर्मचारियों को सुरक्षित स्थान पर रहने का निर्देश दिया और अमेरिकी नागरिकों को अलर्ट किया है कि वे किसी भी हमले की स्थिति में तुरंत सुरक्षित स्थान पर पहुंचने के लिए तैयार रहें।

रूस का पलटवार और रक्षा मंत्रालय का बयान

रूस के रक्षा मंत्रालय ने मंगलवार को एक बयान में बताया कि रूसी सेना ने यूक्रेन की ओर से दागी गई पांच मिसाइलों को नष्ट कर दिया, जबकि एक अन्य मिसाइल को गंभीर नुकसान पहुंचाया। मंत्रालय ने यह भी बताया कि मिसाइलों के मलबे से एक सैन्य प्रतिष्ठान में आग लग गई, हालांकि इसमें कोई जानमाल का नुकसान नहीं हुआ। रूस की ओर से यह बयान यूक्रेन के हमले को लेकर गुस्से का संकेत है।

अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडेन की हरी झंडी

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने यूक्रेन को अमेरिका निर्मित लंबी दूरी की मिसाइलों के उपयोग की अनुमति दी है। इस फैसले से रूस में आक्रोश है। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने पहले ही चेतावनी दी थी कि अगर पश्चिमी देशों ने यूक्रेन को रूस के अंदर तक हमला करने वाले लंबी दूरी के हथियार दिए, तो इसका मतलब यह होगा कि नाटो देश, अमेरिका और यूरोपीय देश रूस के खिलाफ युद्ध में शामिल हो गए हैं।

आगे की स्थिति

रूस और यूक्रेन के बीच स्थिति अभी भी तनावपूर्ण बनी हुई है। इस समय दोनों देशों के बीच सैन्य कार्रवाई में तेजी देखी जा रही है, और यह युद्ध अब और भी जटिल हो गया है, खासकर पश्चिमी देशों के हस्तक्षेप के बाद।

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