Science News in Hindi: पिछले हफ्ते तीन ऑस्ट्रेलियाई उपग्रह पृथ्वी के वायुमंडल में जलकर नष्ट हो गए। ये उपग्रह समय से पहले वायुमंडल में दाखिल हुए थे, हालांकि यह प्रक्रिया पहले से तय थी। जब कोई सैटेलाइट पृथ्वी की निचली कक्षा (2,000 किलोमीटर या उससे कम) में होता है, तो वह धीरे-धीरे पृथ्वी की ओर खिंचता है और वायुमंडल में जलकर नष्ट हो जाता है। आम तौर पर, उपग्रह को छह महीने तक बाहरी अंतरिक्ष में रहना होता है, लेकिन इन उपग्रहों के केवल दो महीने ही पूरे हुए। इसके पीछे कारण सूर्य पर बढ़ रही गतिविधियाँ थीं।
सौर गतिविधियों का बढ़ता असर
हाल के सालों में सूर्य की गतिविधियाँ बढ़ने से सैटेलाइट ऑपरेटर्स के लिए समस्या बढ़ गई है। सूर्य से निकलने वाली ऊर्जा बाहरी वायुमंडल में सोख ली जाती है, जिससे वायुमंडल का आकार बढ़ जाता है। इसका असर पृथ्वी के पास कक्षा में घूम रहे उपग्रहों पर पड़ता है, जिन पर वायुमंडल का खिंचाव बढ़ जाता है। यह खिंचाव उन्हें पृथ्वी की ओर गिरने के लिए मजबूर करता है।
सूर्य का प्रचंड रूप
सूर्य इस समय अपने उच्चतम सक्रिय रूप में है। सूर्य का चुंबकीय क्षेत्र लगातार बदलता रहता है, और लगभग हर 11 साल में यह पूरी तरह से पलट जाता है। इस चक्र के दौरान सौर गतिविधियाँ अपने चरम पर होती हैं। वर्तमान में सूर्य सौर चक्र 25 में है, जिसमें सूर्य पर सनस्पॉट, सौर ज्वालाएँ और सौर हवाएं होती हैं।
धरती पर सौर गतिविधियों का प्रभाव
सूर्य की गतिविधियों का असर पृथ्वी पर भी स्पष्ट रूप से दिखता है। सौर गतिविधियों के कारण जो रंगीन रोशनी आसमान में देखी जाती है, उसे ‘ऑरोरा’ कहा जाता है। यह रोशनी सूर्य से निकलने वाले आवेशित कणों के पृथ्वी के वायुमंडल से टकराने से उत्पन्न होती है। सौर ज्वालाएँ और हवाएँ आवेशित कणों की संख्या को बढ़ा देती हैं, जिससे सैटेलाइट्स के इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में खराबी आ सकती है। इसके अलावा, आयन रेडिएशन में भी वृद्धि होती है, जो एस्ट्रोनॉट्स और पायलट्स के लिए खतरनाक है
सैटेलाइट्स को खतरा क्यों है?
पृथ्वी की निचली कक्षा में स्थित सैटेलाइट्स पर सौर गतिविधियाँ अधिक असर डालती हैं। सूर्य से निकलने वाली अतिरिक्त ऊर्जा बाहरी वायुमंडल में अवशोषित होती है, जिससे यह फैलकर सैटेलाइट्स के कक्षाओं में खिंचाव बढ़ाती है। यह खिंचाव उन्हें गिरने पर मजबूर करता है। प्रमुख सैटेलाइट्स जैसे अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) और स्टारलिंक के सैटेलाइट्स में इस खिंचाव से बचने के लिए विशेष थ्रस्टर्स लगे होते हैं। हालाँकि, यह उपाय महंगे होते हैं।
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