CBSE 9वीं से 12वीं के छात्र अब किताब खोलकर दे सकेंगे परीक्षा, जानें क्या है बोर्ड का प्लान

अधिकारियों के मुताबिक यह विचार दिसंबर, 2023 में CBSE की आखिरी शासी निकाय की बैठक में रखा गया था। हालांकि, अधिकारियों ने कहा कि कक्षा 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षाओं में इस प्रारूप को अपनाने की कोई योजना नहीं है

CBSE Board Exam 2024: सीबीएसई बोर्ड परीक्षाओं के बीच एक बड़ी खबर आ रही है। दरअसल, केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) ने एक पायलट स्टडी को प्रपोज किया है, जिसमें ये देखा जाएगा कि क्लास 9वीं से 12वीं तक के बच्चों के लिए ओपन बुक एग्जाम कि फिजिबिलिटी देना कितना फायदेमंद होगा। CBSE इस साल के अंत में कक्षा 9 से 12 तक के लिए चयनित स्कूलों में खुली किताब के जरिए परीक्षा (ओपन बुक परीक्षा-ओबीई) के प्रायोगिक परियोजना कार्यक्रम की योजना बना रहा है।

क्या है सरकार का प्लान?

अधिकारियों के मुताबिक यह विचार दिसंबर, 2023 में CBSE की आखिरी शासी निकाय की बैठक में रखा गया था। हालांकि, अधिकारियों ने कहा कि कक्षा 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षाओं में इस प्रारूप को अपनाने की कोई योजना नहीं है।

सीबीएसई के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि CBSE चयनित स्कूलों में खुली किताब के जरिए परीक्षा मूल्यांकन के पायलट कार्यक्रम की योजना बना रहा है, जिसमें कक्षा 9 और 10 के लिए अंग्रेजी, गणित और विज्ञान जबकि कक्षा 11 और 12 के लिए अंग्रेजी, गणित और जीव विज्ञान जैसे विषयों को लक्षित किया जाएगा। इसका उद्देश्य छात्रों द्वारा इन परीक्षणों को पूरा करने में लगने वाले समय का आकलन करना और हितधारकों से प्रतिक्रिया एकत्र करना है।

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अधिकारी ने कहा कि यह प्लान राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा में की गई सिफारिशों के अनुरूप है। ये परीक्षण विभिन्न पहलुओं जैसे पूरा होने का समय, रचनात्मक और योगात्मक मूल्यांकन के लिए उपयुक्तता एवं हितधारकों की धारणाओं का मूल्यांकन करने के लिए स्कूलों में एक पायलट चरण से गुजरेंगे। ओपन-बुक परीक्षा में छात्रों को परीक्षा के दौरान अपने नोट्स, पाठ्यपुस्तकें, या अन्य अध्ययन सामग्री ले जाने और उन्हें देखने की अनुमति होती है।

CBSE ने खत्म कर दिया था ये सिस्टम

CBSE ने पहले 2014-15 से 2016-17 तक तीन वर्षों के लिए कक्षा 9 और 11 की वर्ष के अंत की परीक्षाओं के लिए एक ओपन टेक्स्ट-आधारित मूल्यांकन (ओटीबीए) प्रारूप का प्रयोग किया था, लेकिन नकारात्मक प्रतिक्रिया के आधार पर इसे खत्म कर दिया गया था।

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