आचार्य आशीष राघव द्विवेदी जी के मुताबिक जितनी देर पूजा-अर्चना, उतनी देर तक ईश्वर के सामने भोग रहने देना चाहिए। पूजा और आरती संपन्न होने के बाद ही प्रसाद को ग्रहण करना चाहिए।
लेकिन भगवान को चढ़ाए गए प्रसाद अथवा भोग कितनी देर बाद हटाना और ग्रहण करना चाहिए, इसको धर्मशास्त्रियों के अलग-अलग मत है।
धर्म शास्त्रों और ग्रंथों में इस संबंध में अलग-अलग समय और कारण बताए गए हैं।
धर्म शास्त्रों के अनुसार प्रत्येक देवी-देवता को अलग-अलग भोग अर्पित किया जाता है।
प्रसाद चढ़ाने अथवा भोग लगाने का जातक का मकसद भी अलग-अलग होता है।
कई बार किसी खास कामना को लेकर किसी खास देवी-देवता की पूजा अर्चना की जाती है।
हनुमानजी का 43 दिनों का एक तंत्रोक्त उपाय में अर्पित प्रसाद अगले दिन तक रखा जाता है।
इसी प्रकार अलग-अलग उपायों में भगवान के सामने प्रसाद अथवा भोग को एक निश्चित समय तक रखने के बाद ही उसे हटाना और ग्रहण करना चाहिए।
डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी ज्योतिष पर आधारित है। यह जानकारी केवल सूचना के लिए दी जा रही है। Vidhan News इसकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी उपाय को करने से पहले संबंधित विषय के एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें।