Benefits Of Fasting: उपवास है बॉडी डिटॉक्‍स की प्रक्रिया, जानिए और क्‍या हैं लाभ

Benefits Of Fasting: उपवास गुणकारी होता है। क्या हैं उसके लाभ? आइए इस विषय को इस लेख के माध्‍यम से विस्‍तार से समझें। 

Benefits Of Fasting: आजकल उपवास का महीना चल रहा है। हमारे यहां सावन के सोमवार के उपवास की परंपरा रही है। पहले लोग भारत की इस परंपरा का मजाक उड़ाते थे पर अब हमारी यह देशी परम्परा खाती-अघाती-मुटाती मध्यम-वर्गीय दुनिया में भी लोकप्रिय होती जा रही है। दरअसल, हमारे देश में प्राचीन काल से ही उपवास का काफी महत्‍व रहा है। सावन माह सहित कई अन्‍य पर्व एवं त्‍यौहारों पर उपवास रखने की परम्‍परा है। आयुर्वेद में उपवास चिकित्‍सा का एक महत्‍वपूर्ण अंग बताया गया है। उपवास रखने के अलग-अलग तौर-तरीके हैं। प्रस्तुत है, इसी विषय पर प्रकाश डालता डॉ. ओ.पी.जोशी का यह लेख।

इच्‍छाशक्ति है महत्‍वपूर्ण

उपवास रखने की परम्‍परा को पश्चिमी देश पहले पिछड़ापन मानते थे, परंतु अब वे भी इसके महत्‍व को स्‍वीकार करने लगे हैं। दुनियाभर के वैज्ञानिक एवं चिकित्‍सक उपवास के फायदे एवं नुकसान पर अध्‍ययन कर रहे हैं, परंतु कई मुददों पर वे भी एकमत नहीं हैं। कौन, किस उम्र में, कितने उपवास करे, उपवास लगातार हो या अंतराल से, कुछ खाया-पिया जाए या नहीं एवं उपवास मोटापा घटाता है या नहीं आदि विषयों पर विद्वानों की भिन्न-भिन्न राय हैं। यह भी पाया गया है कि उपवास रखने में मोटा या दुबलापन नहीं, अपितु इच्‍छाशक्ति महत्‍वपूर्ण होती है।

कई लोग उपवास के दौरान कोई भी खाद्य पदार्थ एवं पानी तक नहीं लेते, जबकि कुछ पानी का सेवन करते हैं। कुछ लोग केवल फल व दूध का सेवन करते हैं, तो कुछ विशेष पदार्थो का, जैसे-साबुदाना, सिंघाडा व राजगिरे का आटा आदि का। एक समय पूरा खाना खाने वाला उपवास भी प्रचलित है, जिसे ‘एकाशना’ कहा जाता है।

पाचन तंत्र को आराम

अधिकांश चिकित्‍सक मानते हैं कि उपवास रखने से शरीर के पाचन-तंत्र को थोड़ा आराम मिल जाता है। वैसे प्रकृति ने कई जानवरों एवं मनुष्‍य में ऐसी व्‍यवस्‍था बनायी है कि वे कुछ समय बगैर भोजन के जिंदा रह सकते हैं। इस दौरान शरीर में जमा चर्बी/वसा (फैट्स) का उपयोग कर आवश्‍यक उर्जा प्राप्‍त की जाती है। वैसे सामान्‍यत: शरीर ग्‍लूकोज से ऊर्जा प्राप्‍त करता है, परंतु इसका भंडारण नहीं होता। यह भी देखा गया है कि उपवास के लगभग एक दिन बाद ही यक़ृत (लीवर) में जमा ग्‍लायकोजीन रसायन ग्‍लूकोज में बदल जाता है।

एक मान्‍यता यह भी है कि भोजन की पाचन-क्रिया के दौरान कुछ विषैले पदार्थ भी अल्‍प मात्रा में यकृत में जमा हो जाते हैं। उपवास करने से जब पाचन-क्रिया रुक जाती है तब यकृत से ये विषैले पदार्थ निकलकर पूरे शरीर में फैल जाते हैं, हालांकि इस पर भी वैज्ञानिक एक मत नहीं हैं एवं उनके अपने कई तर्क भी हैं। विषैले पदार्थ यदि शरीर से बाहर निकल जाते हैं तो उपवास को शरीर के ‘डीटाक्‍स’ (विष-मुक्ति) होने की एक प्रक्रिया माना जा सकता है।

चिकित्‍सकों की मान्‍यता

चिकित्‍सकों के एक समूह की मान्यता है कि मधुमेह, हद्य-रोगी, गर्भवती महिलाओं, बच्‍चों एवं बुजुर्गो को उपवास से बचना चाहिए। इसका कारण यह है कि उपवास से कब्‍ज, एसिडिटी एवं कमजोरी जैसी समस्‍याएं पैदा होती हैं एवं पाचन-तंत्र कमजोर हो जाता है। देश-विदेश की कई शोध संस्‍थाओं व विश्‍वविद्यालयों में समय-समय पर किये गए शोध एवं अध्‍ययन के परिणाम स्‍वरूप उपवास के जो फायदे बताये गए हैं, उनमें प्रमुख हैं- याददाश्‍त तेज होना, बुढापा देरी से आना, हदय-रोग का खतरा घटना, शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत होना, मधुमेह, उच्‍च रक्‍तचाप तथा कोलेस्ट्रोल पर नियंत्रण आदि। ये लाभ कितने दिन का उपवास रखने से होते हैं एवं कितने समय तक बने रहते है, यह अभी स्‍पष्‍ट नहीं है।

फैटी लिवर में लाभ

कुछ अध्‍ययन यह भी दर्शाते है कि रूक-रूक कर, यानी अंतराल से उपवास करना लगातार उपवास करने से ज्‍यादा फायदेमंद होता है। इससे ‘फैटी–लिवर’ रोग में काफी फायदा होता है तथा ‘एल्‍माइजर’ बीमारी का खतरा भी कम हो जाता है। उपवास से उपजे इस सारे विचार-विमर्श के मध्‍य कुछ लोगों का यह भी मानना है कि उपवास का संबंध ऋतु-परिवर्तन के अनुसार शरीर को तैयार करने से भी जुड़ा है। उपवास एवं स्‍वास्‍थ्‍य लाभ का मसला वैज्ञानिकों एवं चिकित्‍सकों में उलझा हुआ तो है ही, लेकिन अब इसका महत्व महसूस किया जाने लगा है।

(सप्रेस)

 डॉ. ओ.पी. जोशी स्वतंत्र लेखक हैं तथा पर्यावरण के मुद्दों पर लिखते हैं।

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