भौगोलिक दृष्टि से विंध्याचल भारत का मध्य बिंदु है। विंध्य पर्वत के इषाण कोण विंध्य क्षेत्र में ही माना जाता है। इसी कोण पर मां विंध्यवासिनी विराजमान है।
यहां आने के बाद आप विंध्याचल की त्रिकोण परिक्रमा में शामिल हो सकते हैं। इसके बाद मां विंध्यवासिनी के दर्शन कर सकते हैं।
मीरजापुर के विकास में धन कुबेरों का बड़ा योगदान है। किसी ने कालोनी बनवाई तो किसी ने मिल लगा कर शहर को बड़ा व्यवसायिक केंद्र बनाने में योगदान दिया।
प. महामना मदन मोहन मालवीय का ससुराल व देश रत्न पूर्व प्रधानमंत्री स्व. लाल बहादुर शास्त्री का ससुराल व ननिहाल भी मीरजापुर जनपद में ही है।
यहां घंटाघर ऐतिहासिक महत्व वाला है। यह घंटाघर शहर का दिल कहा जाता है।
मीरजापुर का शहीद उद्यान में देश को आजादी दिलाने वाले कई अमर शहीदों की मूर्तियों को देख सकते हैं।
शहर से 35 किलोमीटर की दूरी पर गंगा तट पर स्थित चुनार का किला भारत के गौरवशाली इतिहास का साक्षी रहा है।
शहर के त्रिमोहानी स्थित पक्काघाट सबसे प्रसिद्ध एवं दर्शनीय घाट है, इसकी विशेषता पत्थर पर खूबसूरत कारीगरी है।
शहर में पवित्र पुण्यजला ओझला नदी के बारे में कहा जाता है कि यह अत्यंत पावन नदी है इसमें स्नान करने से मनुष्य अनेक पापों से मुक्त हो जाता है।
बनारस हिंदू विश्वविद्यालय का राजीव गांधी दक्षिणी परिसर जनपद के बरकछा में 1104 हेक्टेयर क्षेत्र में फैला है।
भादों कृष्ण पक्ष की द्वितीया को मीरजापुर, बनारस में कज्जला देवी (विंध्यवासिनी) का जन्मोत्सव कजरी उत्सव के रूप में मनाया जाता है।
यहां जाने के लिए नजदीकी हवाई अड्डा वाराणसी है। मीरजापुर के लिए यहां से बसें भी खूब चलती हैं।
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