सिंधु नदी के किनारे पर बसा लद्दाख, जम्मू और कश्मीर राज्य का एक मशहूर पर्यटन-स्थल है। यहीं से शुरू होती है हमारे देश की चौहद्दी।
इसे कभी ‘लास्ट संग्रीला’ तो कभी ‘लिटिल तिब्बत’ के नाम से पुकारा जाता है। लदाख के दो मुख्य शहर है-लेह और कारगिल।
इसे कभी ‘लास्ट संग्रीला’ तो कभी ‘लिटिल तिब्बत’ के नाम से पुकारा जाता है। लदाख के दो मुख्य शहर है-लेह और कारगिल।
लेह का पैंगोंग लेक 14270 फीट की ऊंचाई पर बनी है। यह अद्भुत झील नीले पानी के लिए पूरी दुनिया में मशहूर है।
इस झील का पानी बहुत खारा है। सर्दियों में यह पूरी तरह जम जाती है। लेह से पैंगोंग पहुंचने में करीब पांच-छ: घंटे का समय लगता है।
इसी राह में पड़ता है बर्फ से ढका चांगला पास, जिसकी ऊंचाई 17,590 फीट है। यह एक खतरनाक और जोखिम भरा दर्रा है।
जुलाई माह में लद्दाख में अलग-अलग मोनेस्ट्री में तीन बड़े बौद्ध फेस्टिवल होते हैं, जिसमें लद्दाख की बौद्ध संस्कृति की एक झलक देखने को मिलती है।
लेह में एक सुंदर शांति स्तूप, जिसका निर्माण वर्ष 1991 में पीस पैगोडा मिशन के तहत एक जापानी बौद्ध भिक्षु गोमयो नाकामूरा द्वारा करवाया गया था।
यह स्तूप लेह शहर से पांच किलोमीटर की दूरी पर एक पहाड़ की चोटी पर बना है, जिसकी ऊंचाई समुद्र तल से 11,841 फीट है।
लेह पैलेस भी यहां दर्शनीय है। यहां आकर लद्दाख की समृद्ध संस्कृति से रूबरू होने का अवसर मिलता है।
लेह सिटी से 17 किलोमीटर दूर थिकसे भी बेहद सुंदर मोनेस्ट्री है। यह 12 मंजिला इमारत हैं जो कि पर्यटकों को दूर से ही नजर आती है।
थिकसे मोनेस्ट्री में महात्मा बुद्ध की मैत्रेयी भाव की विशाल मूर्ति भी स्थापित है।
लेह आएं तो हिमाचल की सबसे ऊंची पर्वत श्रृंखला जास्कर को देखना न भूलें। यह पर्वत माला लद्दाख को जम्मू-कश्मीर से जोड़ती है।
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