
Brahma Kamal Plant Flower: कहते हैं इसे स्वयं ब्रह्मा जी ने उत्पन्न किया। हिमालय क्षेत्रों में उत्तराखंड के इलाकों में यह फूल काफी प्रसिद्ध है। दरअसल, यह यहां का राजकीय फूल माना जाता है। इसका कई पौराणिक कथाओं में भी उल्लेख पाया गया है। मान्यता है कि जब भगवान शिव ने भूलवश गणेश जी के सिर को धड़ से अलग कर दिया था तब फिर से गणेश जी के धड़ पर हाथी का मुख लगाने के लिए अमृत की जरूरत थी। तब ब्रह्मा जी ने एक कमल का फूल उत्पन्न किया। तब कमल के अमृत से ही भगवान गणेश को जीवित किया गया। इसके बाद इस फूल को ब्रह्मकमल का नाम दिया गया।
ऐसा कहा जाता है कि इस फूल के दर्शन हो जाएं तो सारे कष्ट दूर हो जाएं। बता दें कि इसका पौधा 3000 से 4800 मीटर की ऊंचाई पर पाया जाता है। यह फूल मध्य मानसून के समय में यानी जुलाई से सितंबर की अवधि में पहाड़ियों की चट्टानों और घासों के बीच खिलता है।
ब्रह्मकमल फूल की विशेषताएं
इस फूल के सिरे पतली पीली-हरी पंखुड़ियों की परतों से ढंके होते हैं। इससे पहाड़ों के कठोर वातावरण से इसकी रक्षा होती है। यह बद्रीनाथ मंदिर में भगवान विष्णु और केदारनाथ मंदिर में भगवान शिव को चढ़ाया जाता है। सितंबर/अक्टूबर में आयोजित नंदा अष्टमी उत्सव के दौरान इस फूल को ‘प्रसाद’ के रूप में दिया जाता है।
इसे एक बेहतरीन एंटीआक्सीडेंट माना गया है।यह सूजनरोधी होता है। यह चिंता को हरने वाला फूल भी है। औषधीय गुणों से भरपूर ब्रह्म कमल का वैज्ञानिक नाम सौसुरिया ओबवल्लाटा है। यह सूरजमुखी परिवार की एक प्रजाति है। इसकी दिव्यता, सुंदरता व औषधीय गुणों के कारण ही इसे संरक्षित प्रजाति में रखा गया है
जितनी जगहें उतने नाम
ब्रह्मकमल विशेषकर उच्च हिमालय के क्षेत्रों में पाया जाता है। भारत में उत्तराखंड, सिक्किम, अरूणाचल प्रदेश, हिमाचल प्रदेश और कश्मीर में यह फूल आप देख सकते हैं। इसका नाम जगह के अनुसार बदलता है। जैसे, उत्तरखंड में ब्रह्मकमल, हिमाचल में दूधाफूल, कश्मीर में गलगल और उत्तर-पश्चिमी भारत में बरगनडटोगेस के नाम से भी यह जाना जाता है। वैसे, ब्रह्म कमल का वैज्ञानिक नाम सासुरिया ओबलाटा (Saussurea obvallata) या सेक्रेड सोसुरिया (Sacred Saussurea) है। यह एस्टेरसिया परिवार का पौधा है।
ब्रह्मकमल फूल का साैभाग्य व समृद्धि लाने वाला
वास्तु शास्त्र में इसके पौधे को घर में सौभाग्य और समृद्धि लाने वाला माना जाता है। आप यदि यह पौधा घर लाना चाहते हैं तो इसे घर के मध्य में लगाएं। इससे घर की सभी नकारात्मक ऊर्जा दूर रहती है और सकारात्मक ऊर्जा से घर भर जाता है। यह एक पवित्र पौधा है इसलिए आपको इसे साफ जगह पर रखना चाहिए। ऐसी जगह पर जहां इसे पर्याप्त धूप और पानी मिलता रहे। इसे तेज हवाओं व अत्यधिक तापमान से बचाना चाहिए।
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