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Nirjala Ekadashi 2023: भगवान विष्णु का आशीर्वाद पाने के लिए निर्जला एकादशी पर करें इन मंत्रों का जाप

Nirjala Ekadashi 2023: साल में 24 एकादशी आती हैं और ये सभी भगवान विष्‍णु को समर्पित हैं. इनमें से कुछ एकादशी को बहुत महत्‍वपूर्ण माना गया है।

Nirjala Ekadashi 2023: साल में 24 एकादशी आती हैं और ये सभी भगवान विष्‍णु को समर्पित हैं. इनमें से कुछ एकादशी को बहुत महत्‍वपूर्ण माना गया है। ज्‍येष्‍ठ मास के शुक्‍ल पक्ष की एकादशी, इसे निर्जला एकादशी या भीमसेन एकादशी कहते हैं। निर्जला एकादशी व्रत में पूरे दिन पानी की एक बूंद भी ग्रहण नहीं की जाती है और द्वादशी को ही व्रत का पारण किया जाता है।

यह कठिन व्रत रखने और भगवान विष्‍णु की पूजा-आराधना करने से व्‍यक्ति दीर्घायु होता है, साथ ही उसे मोक्ष मिलता है। अत: मनोकामना पूर्ति हेतु एकादशी के दिन भगवान विष्णु के निमित्त व्रत जरूर करें। वहीं, पूजा के समय इन मंत्रों का जाप अवश्य करें। इन मंत्रों के जाप से साधक को भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त होता है। आइए, मंत्र जाप करते हैं

Nirjala Ekadashi 2023: निर्जला एकादशी की जानें तारीख, मुहूर्त और महत्व

1. विष्णु मूल मंत्र
ॐ नमोः नारायणाय॥

2. श्री विष्णु भगवते वासुदेवाय मंत्र
ॐ नमोः भगवते वासुदेवाय॥

3. विष्णु गायत्री मंत्र
ॐ श्री विष्णवे च विद्महे वासुदेवाय धीमहि।

तन्नो विष्णुः प्रचोदयात्॥

4.॥ विष्णु शान्ताकारं मंत्र ॥
शान्ताकारं भुजंगशयनं पद्मनाभं सुरेशं

विश्वाधारं गगन सदृशं मेघवर्ण शुभांगम् ।

लक्ष्मीकांत कमलनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यं

वन्दे विष्णु भवभयहरं सर्व लौकेक नाथम् ॥

यं ब्रह्मा वरुणैन्द्रु रुद्रमरुत: स्तुन्वानि दिव्यै स्तवैवेदे: ।

सांग पदक्रमोपनिषदै गार्यन्ति यं सामगा: ।

ध्यानावस्थित तद्गतेन मनसा पश्यति यं योगिनो

यस्यातं न विदु: सुरासुरगणा दैवाय तस्मै नम: ॥

5. कमल नेत्र स्तोत्रम्
श्री कमल नेत्र कटि पीताम्बर,

अधर मुरली गिरधरम ।

मुकुट कुण्डल कर लकुटिया,

सांवरे राधेवरम ॥1॥

कूल यमुना धेनु आगे,

सकल गोपयन के मन हरम ।

पीत वस्त्र गरुड़ वाहन,

चरण सुख नित सागरम ॥2॥

करत केल कलोल निश दिन,

कुंज भवन उजागरम ।

अजर अमर अडोल निश्चल,

पुरुषोत्तम अपरा परम ॥3॥

दीनानाथ दयाल गिरिधर,

कंस हिरणाकुश हरणम ।

गल फूल भाल विशाल लोचन,

अधिक सुन्दर केशवम ॥4॥

बंशीधर वासुदेव छइया,

बलि छल्यो श्री वामनम ।

जब डूबते गज राख लीनों,

लंक छेद्यो रावनम ॥5॥

सप्त दीप नवखण्ड चौदह,

भवन कीनों एक पदम ।

द्रोपदी की लाज राखी,

कहां लौ उपमा करम ॥6॥

दीनानाथ दयाल पूरण,

करुणा मय करुणा करम ।

कवित्तदास विलास निशदिन,

नाम जप नित नागरम ॥7॥

प्रथम गुरु के चरण बन्दों,

यस्य ज्ञान प्रकाशितम ।

आदि विष्णु जुगादि ब्रह्मा,

सेविते शिव संकरम ॥8॥

श्रीकृष्ण केशव कृष्ण केशव,

कृष्ण यदुपति केशवम ।

श्रीराम रघुवर, राम रघुवर,

राम रघुवर राघवम ॥9॥

श्रीराम कृष्ण गोविन्द माधव,

वासुदेव श्री वामनम ।

मच्छ-कच्छ वाराह नरसिंह,

पाहि रघुपति पावनम ॥10॥

मथुरा में केशवराय विराजे,

गोकुल बाल मुकुन्द जी ।

श्री वृन्दावन में मदन मोहन,

गोपीनाथ गोविन्द जी ॥11॥

धन्य मथुरा धन्य गोकुल,

जहाँ श्री पति अवतरे ।

धन्य यमुना नीर निर्मल,

ग्वाल बाल सखावरे ॥12॥

नवनीत नागर करत निरन्तर,

शिव विरंचि मन मोहितम ।

कालिन्दी तट करत क्रीड़ा,

बाल अदभुत सुन्दरम ॥13॥

ग्वाल बाल सब सखा विराजे,

संग राधे भामिनी ।

बंशी वट तट निकट यमुना,

मुरली की टेर सुहावनी ॥14॥

भज राघवेश रघुवंश उत्तम,

परम राजकुमार जी ।

सीता के पति भक्तन के गति,

जगत प्राण आधार जी ॥15॥

जनक राजा पनक राखी,

धनुष बाण चढ़ावहीं ।

सती सीता नाम जाके,

श्री रामचन्द्र प्रणामहीं ॥16॥

जन्म मथुरा खेल गोकुल,

नन्द के ह्रदि नन्दनम ।

बाल लीला पतित पावन,

देवकी वसुदेवकम ॥17॥

श्रीकृष्ण कलिमल हरण जाके,

जो भजे हरिचरण को ।

भक्ति अपनी देव माधव,

भवसागर के तरण को ॥18॥

जगन्नाथ जगदीश स्वामी,

श्री बद्रीनाथ विश्वम्भरम ।

द्वारिका के नाथ श्री पति,

केशवं प्रणमाम्यहम ॥19॥

श्रीकृष्ण अष्टपदपढ़तनिशदिन,

विष्णु लोक सगच्छतम ।

श्रीगुरु रामानन्द अवतार स्वामी,

कविदत्त दास समाप्ततम ॥

Nirjala Ekadashi 2023: इस तारीख को है मई में ‘निर्जला एकादशी’, जानिए पूजा का महत्व और शुभ मुहूर्त

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