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Choti Diwali 2024: नरक चतुर्दशी के दिन जरूर करें श्री कृष्ण स्तुति का पाठ, हर कष्ट दूर करेंगे माधव

Choti Diwali 2024: 30 अक्टूबर को छोटी दिवाली का त्यौहार मनाया जाएगा। छोटी दिवाली को नरक चतुर्दशी भी कहा जाता है। इस दिन श्री कृष्ण ने नरकासुर का वध किया था। छोटी दिवाली के दिन श्री कृष्ण स्तुति का पाठ करने से हर कष्ट दूर होते हैं।

Choti Diwali 2024
Choti Diwali 2024

Choti Diwali 2024:  छोटी दिवाली को नरक चतुर्दशी कहा जाता है और इस साल 30 अक्टूबर बुधवार को छोटी दिवाली का त्यौहार मनाया जाएगा। इस दिन भगवान श्री कृष्ण की पूजा की जाती है। कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुदर्शी तिथि के दिन ही भगवान कृष्ण ने 16 हजार कन्याओं को नरका सुर के आतंक से मुक्त कराया था और नरका सुर का वध किया था। इसलिए इस नरक चतुर्दशी कहा जाता है और इस दिन अगर आप श्री कृष्ण स्तुति का पाठ करेंगे तो आपके सभी कष्ट दूर हो जाएंगे।

नरक चतुर्दशी के दिन इस चमत्कारी स्त्रोत का करें पाठ ( Choti Diwali 2024 )

श्री कृष्ण चन्द्र कृपालु भजमन, नन्द नन्दन सुन्दरम्।
अशरण शरण भव भय हरण, आनन्द घन राधा वरम्॥

सिर मोर मुकुट विचित्र मणिमय, मकर कुण्डल धारिणम्।
मुख चन्द्र द्विति नख चन्द्र द्विति, पुष्पित निकुंजविहारिणम्॥

मुस्कान मुनि मन मोहिनी, चितवन चपल वपु नटवरम्।
वन माल ललित कपोल मृदु, अधरन मधुर मुरली धरम्॥

वृषुभान नंदिनी वामदिशि, शोभित सुभग सिहासनम्।
ललितादि सखी जिन सेवहि, करि चवर छत्र उपासनम्॥

॥ हरि: ॐ तत् सत् ॥

नरक चतुर्दशी पर करें कृष्ण स्तुति

नारायण नारायण जय गोविंद हरे ॥
नारायण नारायण जय गोपाल हरे ॥

करुणापारावारा वरुणालयगम्भीरा ॥
घननीरदसंकाशा कृतकलिकल्मषनाशा ॥

यमुनातीरविहारा धृतकौस्तुभमणिहारा ॥
पीताम्बरपरिधाना सुरकल्याणनिधाना ॥

मंजुलगुंजाभूषा मायामानुषवेषा ॥
राधाऽधरमधुरसिका रजनीकरकुलतिलका ॥

मुरलीगानविनोदा वेदस्तुतभूपादा ॥
बर्हिनिवर्हापीडा नटनाटकफणिक्रीडा ॥

वारिजभूषाभरणा राजिवरुक्मिणिरमणा ॥
जलरुहदलनिभनेत्रा जगदारम्भकसूत्रा ॥

पातकरजनीसंहर करुणालय मामुद्धर ॥
अधबकक्षयकंसारे केशव कृष्ण मुरारे ॥

हाटकनिभपीताम्बर अभयं कुरु मे मावर ॥
दशरथराजकुमारा दानवमदस्रंहारा ॥

गोवर्धनगिरिरमणा गोपीमानसहरणा ॥
शरयूतीरविहारासज्जनऋषिमन्दारा ॥

विश्वामित्रमखत्रा विविधपरासुचरित्रा ॥
ध्वजवज्रांकुशपादा धरणीसुतस्रहमोदा ॥

जनकसुताप्रतिपाला जय जय संसृतिलीला ॥
दशरथवाग्घृतिभारा दण्डकवनसंचारा ॥

मुष्टिकचाणूरसंहारा मुनिमानसविहारा ॥
वालिविनिग्रहशौर्या वरसुग्रीवहितार्या ॥

मां मुरलीकर धीवर पालय पालय श्रीधर ॥
जलनिधिबन्धनधीरा रावणकण्ठविदारा ॥

ताटीमददलनाढ्या नटगुणविविधधनाढ्या ॥
गौतमपत्नीपूजन करुणाघनावलोकन ॥

स्रम्भ्रमसीताहारा साकेतपुरविहारा ॥
अचलोद्घृतिञ्चत्कर भक्तानुग्रहतत्पर ॥

नैगमगानविनोदा रक्षःसुतप्रह्लादा ॥
भारतियतिवरशंकर नामामृतमखिलान्तर ॥

। इति श्रीमच्छंकराचार्यविरचितं नारायणस्तोत्रं सम्पूर्णम् ।

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