Damoh Parshuram Temple: भगवान विष्णु के छठे रूप के अवतार में भगवान परशुराम ने त्रेता युग में अवतार लिया था। धर्म शास्त्रों के अनुसार वह महर्षि भृगु के घर भगवान परशुराम के रूप में अवतार लिए थे और भगवान परशुराम के “वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि के दिन हुआ था। इन्हीं के “के अवसर पर अक्षय तृतीया मनाया जाता है। आज हम आपको भगवान परशुराम के कैसे मंदिर के बारे में बताएंगे जहां दर्शन करने से पुत्र रत्न की प्राप्ति होती है। तो आईए जानते हैं इस मंदिर के बारे में विस्तार से…
चमत्कारी है भगवान परशुराम का यह मंदिर ( Damoh Parshuram Temple )
मध्य प्रदेश के दमोह में स्थित भगवान परशुराम का यह मंदिर 100 साल से भी अधिक पुराना है और इसका निर्माण 1982 में हुआ था। मंदिर 320 फीट की ऊंची टेकरी पर स्थित है इसलिए इसे परशुराम टेकरी भी कहा जाता है और यह मंदिर चारों तरफ से घने जंगलों से गिरा था लेकिन जब आसपास विकास हुआ तो वन कर दिए गए। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार यहां से कोई खाली हाथ नहीं लौटता है।
स्थानीय लोगों को कहना है कि यहां के एक व्यक्ति को भगवान परशुराम लगातार 12 साल तक स्वप्न दर्शन दिए और उन्हें मंदिर के निर्माण का आदेश दिया जिसके बाद 1981 में एक पेड़ के नीचे खुदाई कराई गई जहां भगवान परशुराम ने मंदिर बनाने के लिए कहा। वहां भगवान परशुराम की एक मूर्ति मिली जिसके बाद से यहां पूजा पाठ होने लगा और मंदिर का निर्माण कर दिया गया।
पूजा करने से पुत्र रत्न की होती है प्राप्ति
स्थानीय लोगों का कहना है कि दमोह में स्थित भगवान परशुराम को लेकर लोगों में विशेष आस्था देखने को मिलती है। इस मंदिर में पूजा करने से पुत्र रत्न की प्राप्ति होती है इसके साथ ही कोई भी भक्त यहां से खाली हाथ नहीं लौटता है। भगवान परशुराम हर व्यक्ति के जीवन के दुख को दूर करते हैं और सभी मुरादे पूरी करते हैं।
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