Guruwar Vrat Katha: गुरुवार का दिन विश्व के पालनहार भगवान विष्णु और देवताओं के गुरु बृहस्पति को समर्पित होता है । इस दिन भगवान विष्णु की आराधना के साथ-साथ गुरुवार का व्रत भी रखा जाता है। गुरुवार के व्रत को ज्यादातर स्त्रियां या अविवाहित लड़कियां रखती हैं।
इस व्रत को करने से अविवाहित लड़कियों की करियर, कारोबार या विवाह से संबंधित सभी परेशानियां दूर होती है। नवविवाहित स्त्रियों को संतान की प्राप्ति होती है और जिन युवतियों की शादी में बाधा आ रही है वो भी शीघ्र ही खत्म हो जाती है। गुरुवार के दिन व्रत रखकर इस गुरुवार के व्रत कथा को पढ़ने से जातक की कुंडली में गुरु मजबूत होता है तथा करिए और कारोबार में भी सफलता हासिल होती है तो आइए पढ़ते हैं गुरुवार की व्रत कथा।
गुरुवार की व्रत कथा (Guruwar Vrat Katha)
बहुत पुराने समय की बात है। किसी नगर में एक साहूकार रहता था, जिसके पास किसी भी चीज की कमी नहीं थी। लेकिन साहूकार की धर्मपत्नी बहुत ही कृपण थी। उसे दान पुण्य में विश्वास नहीं था। साहूकार की पत्नी का मानना था की धन दान-पुण्य के लिए नहीं अपितु भोग के लिए होता है। एक दिन साहूकार के घर भिक्षा मांगने एक सन्यासी आए।
उन्होंने भिक्षा की याचना लेकिन साहूकार की पत्नी ने भिक्षा देने से मना कर दिया। तब साधु ने भिक्षा न देने का कारण जानना चाहा, तब साहूकार की पत्नी ने बोला कि ऐसे धन का ना होना ही अच्छा है, जो दूसरों के काम आए। इस तरह के धन संचय का भला क्या लाभ है? अगर आप सच में एक सिद्ध साधु हैं, तो धन नष्ट होने के उपाय बताइये। मैं अपने पति के परोपकार से तंग आ गई हूं।
तब साधु ने कहा की बेटी तुम गुरुवार के दिन तामसिक भोजन करना, बाल और वस्त्र धोना और रसोई बनाकर खाना चूल्हे के पीछे रखना शुरू कर दो और साथ ही गुरुवार के दिन पीले चीजों का न सेवन करना, न पीले वस्त्र को पहनना और गुरुवार के दिन बाल-नाखून काटना।
इन उपायों को करने से पति के परोपकार से तुम्हें मुक्ति मिल जाएगी। साहूकार की पत्नी ने साधु के वचनों का पालन किया जिसके फलस्वरूप समय के साथ साहूकार गरीब हो गया और उसके घर में खाने के भी लाले पड़ गए।
कुछ महीनों के बाद जब वही साधु फिर से दोपहर के समय साहूकार के घर भिक्षा मांगने आया, तब उसकी पत्नी साधु को देख कर रोने लगी। साधु ने जब उसके रोने का कारण पूछा, तब उसने बताया कि उसका सब कुछ लुट गया और वो बर्बाद हो गई है, उसके घर में खाने के लिए अन्न भी नहीं है।
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यह जानकर साधु को बहुत दुख हुआ और उसने साहूकार की पत्नी को गुरुवार का व्रत करने को कहा। साधु ने बताया की जगत के पालनहार भगवान विष्णु सबका उद्धार करते हैं, तो वह तुम्हारा भी करेंगे। साहू के वचनों का पालन करते हुए साहूकार की पत्नी ने गुरुवार का व्रत विधिपूर्वक आरंभ कर दिया और व्रत के पुण्य प्रताप से कुछ ही समय में साहूकार पुनः धनवान बन गया।
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