Advanced Science in Mahabharat: महाभारत कथा को तो हम सभी जानते हैं। महाभारत कथा वेद व्यास जी द्वारा लिखा गया था। कई विद्वानों का मानना है की महाभारत मनुष्य के जीवन का आईना है। इसमें कई बातें ऐसी है जो कि मनुष्य के जीवन के लिए बहुत उपयोगी मानी जाती है। महाभारत में कही गई बातों के पीछे न केवल आध्यात्मिक बल्कि वैज्ञानिक महत्व भी शामिल है। आज के समय में हम जिन टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करते हैं वह महाभारत काल में ही मौजूद थे। इन बातों से यह भी पता चलता है की सनातन धर्म कितना विकसित था। आज हम महाभारत के कुछ ऐसे तथ्यों के बारे में जानेंगे जिनमें आज के समय की आधुनिकता छिपी हुई है।

महाभारत काल में परमाणु हथियारों का इस्तेमाल
महाभारत ग्रंथ के अनुसार युद्ध में लगभग 1.5 अरब योद्धाओं, सैनिकों आदि की मृत्यु हो गई थी। यह युद्ध कुल 18 दिन तक चला था जिसमें ब्रह्मास्त्र, पशुपतास्त्र, ब्रह्मशिरा, वैष्णवास्त्र, नारायण अस्त्र, अग्नि अस्त्र जैसे कई दैवीय अस्त्रों का इस्तेमाल हुआ था। यह सभी अस्त्र बहुत ही विध्वंसकारी थें। यह अस्त्र आज के युग के परमाणु हथियार से भी ज्यादा घातक थे।
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संजय द्वारा महाभारत युद्ध का सीधा प्रसारण
सारथी गावलगण के पुत्र संजय महाभारत में धृतराष्ट्र के सलाहकार और सारथी थें। संजय नहीं अपनी दिव्य दृष्टि से महाभारत युद्ध में चल रही सभी गतिविधियों का वर्णन धृतराष्ट्र को बताया था। इससे यही पता चलता है कि महाभारत काल में आज की तुलना में विज्ञान कितना आधुनिक था।
अभिमन्यु ने गर्भ में सीखा चक्रव्यू के अंदर जाना
महाभारत में इस बात का भी वर्णन मिलता है कि जब सुभद्रा गर्भवती थी तब उन्होंने अर्जुन से चक्रव्यूह ने प्रवेश करने और उसको तोड़ने का रहस्य पूछा था। जब अर्जुन सुभद्रा को चक्रव्यूह में प्रवेश करने की रणनीति बता रहे थे तब उनकी बातों को गर्भ में पल रहा अभिमन्यु भी सुन रहा था। लेकिन अर्जुन जी चक्रव्यूह से बाहर निकलने के रहस्य को बताने से पहले ही सुभद्रा सो गई। इसकी वजह से अभिमन्यु को चक्रव्यूह में प्रवेश करने की प्रक्रिया का तो ज्ञात हो गया, लेकिन उससे बाहर निकलने का ज्ञान ना हो पाया। वर्तमान के आधुनिक विज्ञान में भी कुछ ऐसा ही होता है। जब एक बच्चा मां के गर्भ में पल रहा होता है तभी से वो बहुत कुछ सीखना शुरू कर देता है।
एक भ्रूण से कई बच्चों का विकास महाभारत में हो चुका है
महाभारत में इस बात का वर्णन मिलता है की कौरवों के एक भ्रूण को 100 भागों में विभाजित करके अलग-अलग पात्र बनाए गए थे। यह क्लोनिंग प्रक्रिया 21वीं सदी में आज से कुछ सालों पहले ही विकसित हुई है। इसे आधुनिक भाषा में टेस्ट ट्यूब बेबी कहा जाता है।
(यह ख़बर विधान न्यूज के साथ इंटर्नशिप कर रहे गौरव श्रीवास्तव द्वारा तैयार की गई है)
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