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Love Marriage Astro: प्रेम विवाह में कुंडली ना मिले तो क्या करें, जानें ज्योतिष की सलाह

Love Marriage Astro: विवाह में मन मिलना आवश्यक है कुंडली का नहीं। अगर कुंडली मिल जाए और मन नहीं मिल पाया तो विवाह लंबा नहीं चलेगा।

Love Marriage Astro: आज हर कोई प्रेम विवाह कर रहा है। कुछ विवाह सफल होते हैं मगर कुछ विवाह टूट जाते हैं। ऐसे में लोग विवाह के लिए कुंडली मिलान को महत्वपूर्ण मानते हैं। मगर जब प्रेम विवाह में कुंडली ना मिले तो क्या करना चाहिए? इस सवाल का जवाब हम आपको बताने जा रहे हैं। आचार्य प्रेमानंद जी महाराज ने प्रेम विवाह में कुंडली मिलान को लेकर एक बड़ी बात कही है। आईए जानते हैं विवाह के लिए कुंडली मिलान कितना और क्यों जरूरी है…


क्या विवाह में कुंडली मिलान जरूरी

विवाह में कुंडली का मिलान करना महत्वपूर्ण माना जाता है। कुंडली के माध्यम से दो व्यक्तियों की गुणवत्ता, दोष, संघर्षों और उनके भविष्य के बारे में जानकारी हासिल की जा सकती है। कुंडली में ज्योतिषीय दृष्टिकोण से नकारात्मक योगों, दोषों और अनुकूल योगों की जांच की जाती है।

कैसे जानें कुंडली में है प्रेम विवाह

यदि कुंडली के पंचम और सप्तम भाव का परस्पर संबंध हो, तो प्रेम विवाह करना आसान होता है। पंचम भाव के स्वामी सप्तम में स्थित हो या सप्तमेश पंचम भाव में स्थित हो, तो प्रेम विवाह होता है।

स्त्रियों के लिए मंगल ग्रह है कारक 

ग्रहों की दशा बताती है कि नसीब में प्यार है या नहीं। यूं तो सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, बृहस्पति, शुक्र, शनि, राहू और केतु नवग्रह हैं, लेकिन प्रेम और प्रेम विवाह का जिम्मा चंद्र, मंगल और शुक्र के ही पास है। पुरुष कुंडली में यौन जीवन का कारक शुक्र को माना जाता है, जबकि स्त्री की जन्म कुंडली में मंगल को कारक माना गया है।

विवाह के लिए कितने गुण आवश्यक

ज्योतिषशास्त्र में विवाह के मिलान के लिए कुल 36 गुणों के बारे में बताया गया है। वर और वधु के विवाह के लिए कम से कम 18 गुणों का मिलना जरूरी होता है, तभी वह शादी हो सकती है अन्यथा वह शादी नहीं की जाती है। दोनों का वैवाहिक जीवन सुखमय हो, इसके लिए कुंडली से मिलान होता है।

प्रेम विवाह में कुंडली जरूरी नहीं 

आचार्य प्रेमानंद जी महाराज ने भी प्रेम विवाह के लिए कुंडली मिलान को महत्वपूर्ण नहीं बताया है। महाराज जी ने इस विषय को समझाते हुए भगवान राम और सीता के विवाह का उदाहरण दिया। पौराणिक कथा के विषय में सभी को पता है कि विवाह के लिए भगवान राम और देवी सीता के 36 गुण मिले थे। लेकिन दोनों सुख में कभी साथ नहीं रहे। इसलिए आचार्य का कहना है कि विवाह में मन मिलना आवश्यक है कुंडली का नहीं। अगर कुंडली मिल जाए और मन नहीं मिल पाया तो विवाह लंबा नहीं चलेगा। वहीं मन मिल जाएं और कुंडली ना भी मिले तो भी रिश्ता गहरा हो जाता है।

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