
Makar Sankranti 2026: मकर संक्रांति 2026 को लेकर इस बार पूरे देश में उत्साह चरम पर है। 2026 मे संक्रांति पर दुर्लभ ग्रह संयोग बन रहा है, जो वर्षों बाद दिखाई देगा। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार इस बार का संक्रांति पर्व बेहद शुभ माना जा रहा है, क्योंकि सूर्यदेव धनु राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करेंगे और इसी दौरान शुभ नक्षत्र का भी योग बनेगा।माना जा रहा है कि इस संयोग में किए गए दान-पुण्य, गंगा स्नान और सूर्य उपासना का फल कई गुना बढ़कर मिलता है।
इस साल खास क्यों है मकर संक्रांति? (Makar Sankranti 2026)
2026 में मकर संक्रांति का दिन ग्रहों की स्थिति के कारण और भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। सूर्य मकर राशि में ‘शुभ योग’ के साथ प्रवेश करेंगे, जिससे ग्रह दोषों का प्रभाव कम होगा।ज्योतिषाचार्यों का कहना है कि इस साल संक्रांति पर अमृत योग और सर्वार्थ सिद्धि योग बनने की संभावना है। ऐसे दुर्लभ योग तभी बनते हैं जब सूर्य, चंद्र और गुरु की स्थिति विशेष रूप से अनुकूल होती है।
कब रहेगा पुण्य काल?
इस बार मकर संक्रांति का पुण्य काल सूर्योदय से ही शुरू हो जाएगा और शाम तक चलने की संभावना है।
पंडितों के अनुसार—
- सूर्योदय: 7:05 AM
- शुभ स्नान का समय: 7:05 AM से 12:15 PM
- दान का श्रेष्ठ समय: 10:00 AM से 4:00 PM
इस अवधि में गंगा स्नान, तिल-गुड़ दान, दीपदान और सूर्य को अर्घ्य देना अत्यंत पुण्यदायी माना गया है।
तीरथ स्थलों में बढ़ने लगी भीड़
हरिद्वार, वाराणसी, प्रयागराज, गुवाहाटी और उज्जैन जैसे प्रमुख तीर्थस्थलों में इस समय भारी भीड़ देखी जाती है।
यात्रियों के लिए प्रशासन विशेष व्यवस्थाएँ करता हैं—
- घाटों पर सुरक्षा बढ़ाणा
- हेल्थ कैंप लगाए गए
- ट्रैफिक के लिए रूट बदले गए
- लापता सहायता केंद्र बनाए गए
क्या करें मकर संक्रांति पर?
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार—
- तिल का दान
- कंबल दान
- खिचड़ी प्रसाद
- सूर्य देव को जल
- गरीबों को भोजन
ये सभी अत्यंत शुभ माने गए हैं।
इसके अलावा इस दिन झगड़ा, नकारात्मक सोच और मांस-मदिरा का त्याग करने की सलाह दी जाती है।
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