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Navratri 6th Day Maa Katyayani : कौन हैं माता कात्यायनी ? जानिए इनके 7 रोचक रहस्य

Navratri 6th Day Maa Katyayani : नवरात्रि के छठे दिन मां दूर्गा के अलौकिक स्वरूप माता कात्यायनी की पूजा अर्चना की जाती है। माता को ब्रजमंडल की अधिष्ठात्री देवी माना गया हैं। माता के चार हाथ हैं और उनकी भुजाओं में अस्त्र, शस्त्र और कमल है। जबकि माता का वाहन सिंह है। मां अपने भक्त के सभी रोग-दोष दूर कर सुख और समृद्धि प्रदान करती हैं।

Navratri 6th Day Maa Katyayani

Navratri 6th Day Maa Katyayani : नवरात्रि के छठे दिन मां दुर्गा के छठे स्वरुप माता कात्यायनी की पूजा अर्चना होती है। माता कात्यायनी को मां दुर्गा के नौ स्वरुपों में से छठा रूप माना जाता है। स्वरूप में मां कात्यायनी माता शेर पर सवार हैं, उनके सिर पर मुकुट सुशोभित है और माता की चार भुजाएं हैं। शास्त्रों में मां पार्वती का ही दूसरा नाम माता ‘कात्यायनी’ बताया गया है। आइये भागवताचार्य आचार्य आशीष राघव द्विवेदी जी से विस्तार में मां दुर्गा के छठे स्वरुप माता कात्यायनी के छठे स्वरुप के बारे में जानते हैं…

Navratri 6th Day Maa Katyayani

नवरात्रि के छठे दिन मां कात्यायनी (Navratri 6th Day Maa Katyayani) की पूजा

संस्कृत शब्दकोश में माता पार्वती को उमा, कात्यायनी, गौरी, काली, हेेमावती और ईश्वरी के रुप में संबोधित किया गया है। जबकि शक्तिवाद में उन्हें शक्ति यानी दुर्गा, जिनमें भद्रकाली और चंडिका भी शामिल हैं। जबकि स्कंद पुराण माता को परमेश्वर के नैसर्गिक क्रोध से उत्पन्न बताया गया है। मां कात्यायनी ने माता पार्वती द्वारा दी गई सिंह पर आरूढ़ होकर महिषासुर नामक राक्षस का वध किया। मां दुर्गा शक्ति की आदि रूपा है, जिसका उल्लेख पाणिनी और पतंजलि के महाभाष्य में भी किया गया है। वहीं कालिका पुराण में उड़ीसा में देवी कात्यायनी और भगवान जगन्नाथ का स्थान बताया गया है।

माता कात्यायनी के 7 खास बातें (7 Secrets of Maa Katyayani) 

1. मां कात्यायनी मां दुर्गा की छठी विभूति हैं। शास्त्रों के अनुसार जो भी व्यक्ति दुर्गा मां की छठी विभूति मां कात्यायनी की सच्चे मन से आराधना करते हैं उन पर माता की सदैव कृपा बनी रहती है। शास्त्रों के मुताबिक माता षष्ठी देवी को भगवान ब्रह्मा की मानस पुत्री बताया गया है। जिनकी पूजा नवरात्रि में षष्ठी तिथि यानी छटे दिन पूजा अचर्ना की जाती है। षष्ठी देवी मां को ही पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड में स्थानीय भाषा में छठ मैया भी कहते हैं। ब्रह्मवैवर्त पुराण में भी छठी माता की पूजा का उल्लेख  मिलता है।

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2. मान्यता के मुताबिक उत्तरप्रदेश के मथुरा के पास वृंदावन के भूतेश्वर नामक स्थान पर माता के गुच्छ और चूड़ामणि गिरे थे। इसकी शक्ति है उमा और भैरव को भूतेश कहते हैं। यहीं पर आद्या कात्यायिनी मंदिर और शक्तिपीठ भी स्थित है। कहा जाता है कि यहीं पर माता के केश गिरे थे। वृन्दावन स्थित श्री कात्यायनी पीठ ज्ञात 51 पीठों में से एक अत्यन्त ही प्राचीन सिद्धपीठ है।

3. विजयादशमी का पर्व मां कात्यायिनी दुर्गा द्वारा महिषासुर नाम के राक्षस के वध करने के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। विजयादशमी का पर्व श्रीराम के काल के पूर्व से ही प्रचलन में रहा है। भगवान राम ने भी विजयादशमी के मौके पर माता दुर्गा की पूजा अर्चना की थी। इस दिन अस्त्र-शस्त्र और वाहन की पूजा की मान्यता है।

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4. ऋषि कात्यायन की पुत्री होने के कारण माता का नाम कात्यायनी पड़ा। ऋषि कात्यायन विश्वामित्र के ही वंशज कहा गया है। स्कंदपुराण के नागर खंड में कात्यायन को याज्ञवल्क्य का पुत्र बताया गया है। उन्होंने ‘श्रौतसूत्र’, ‘गृह्यसूत्र’ आदि ग्रंथों की रचना की थी।

5. कहा जाता है सिद्ध संत श्रीश्यामाचरण लाहिड़ीजी के गुरु स्वामी केशवानन्द ब्रह्मचारी महाराज ने अपनी कठोर तप और साधना से भगवती के प्रत्यक्ष आदेशानुसार वृन्दावन में श्रीकात्यायनी शक्तिपीठ का पुर्ननिर्माण कराया था।

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6. मां कात्यायनी के मंत्र:
“कात्यायनी महामाये, महायोगिन्यधीश्वरी।
नन्दगोपसुतं देवी, पति मे कुरु ते नमः।।”

7. मंत्र – ‘ॐ ह्रीं नम:।।’
चन्द्रहासोज्जवलकराशाईलवरवाहना।
कात्यायनी शुभं दद्याद्देवी दानवघातिनी।।

मंत्र – ॐ देवी कात्यायन्यै नमः॥

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