Navratri 7th Day Maa Kalratri Puja Vidhi: इन दिनों नवरात्रि का पावन पर्व चल रहा है और आज शनिवार को नवरात्रि की सप्तमी तिथि है। नवरात्रि में सातवें दिन को महासप्तमी भी कहा जाता है। इस दिन माता रानी की सातवीं शक्ति मां कालरात्रि की पूजा की जाती है। मान्यता के मुताबिक मां कालरात्रि त्री नेत्रधारी हैं और इनके गले में विद्युत की अद्भुत माला है। साथ ही इनके हाथों में खड्ग और कांटा है। माता रानी का वाहन गधा है। माता हमेशा अपने भक्तों का कल्याण करती हैं, इसलिए इन्हें शुभंकरी भी कहा जाता है। इनकी उपासना मात्र से जातक के जीवन के सारे दुख-दर्द और संकट दूर हो जाते हैं। आइए भागवताचार्य आचार्य आशीष राघव द्विवेदी जी से जानते हैं मां कालरात्रि के महात्म्य, पूजा विधि समेत तमाम कथाओं के बारे में…
ऐसा है मां कालरात्रि का स्वरूप
मां कालरात्रि की पूजा का फल
पौराणिक कथा के मुताबिक तीनों लोकों में दैत्य शुंभ-निशुंभ और रक्तबीज ने हाहाकार मचा रखा था। इससे परेशान होकर सभी देवतागण भगवान शिव के पास गए और उनसे मदद मांगी। तब शिवजी ने देवी पार्वती से शुंभ-निशुंभ और रक्तबीज समेत सभी राक्षसों का वध कर अपने भक्तों की रक्षा की अपील की। शिवजी की बात मानकर पार्वती जी ने दुर्गा का रूप धारण किया और शुंभ-निशुंभ समेत सभी राक्षसों का वध कर दिया।
लेकिन जैसे ही रक्तबीज को मारा मां दुर्गा ने उसके शरीर से निकलने वाले रक्त से लाखों रक्तबीज उत्पन्न हो गए। इसके बाद माता दुर्गा ने अपने तेज से कालरात्रि को उत्पन्न किया और रक्तबीज को फिर से मारते हुए उसके शरीर से निकलने वाले रक्त को अपने मुख में भर लिया और सबका गला काटते हुए रक्तबीज का वध कर दिया।
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मां कालरात्रि की पूजा विधि और नियम
नवरात्रि के सातवें दिन ब्रह्म मुहूर्त में प्रातः स्नान कर माता कालरात्रि के समक्ष घी का दीपक जलाएं। देवी माता को लाल फूल अर्पित करने करने के बाद गुड़ का भोग लगाएं। इसके बाद देवी माता के मंत्रों का जाप और संभव हो तो सप्तशती का भी पाठ कर उनकी आरती करें। इसके बाद गुड़ का आधा भाग परिवार में बाटें और बाकी आधा गुड़ किसी ब्राह्मण को दे दें।
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मां कालरात्रि मंत्र
- ऊं ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै ऊं कालरात्रि दैव्ये नम:।
- ॐ कालरात्र्यै नम:।
शत्रुओं से छुटकारा पाने के उपाय और मंत्री
मां कालरात्रि मंत्र जाप के बाद नवार्ण मंत्र ‘ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डाय विच्चे’ का 108 बार पढ़ते हुए एक-एक लौंग चढ़ाते जाएं। इसके बाद सभी 108 लौंग को इकठ्ठा करके अग्नि में डाल दें। इससे आपका विरोधी और शत्रु शांत होंगे और उनसे आपको छुटकारा मिल जाएगा।