Navratri 2024 Hawan: अष्टमी-नवमी कल, ऐसे करें हवन; नोट कर लें शुभ मुहूर्त, विधि और सामग्री

Navratri 2024 Hawan Vidhi Samagri List: आदि शक्ति मां दुर्गाकी उपासना का महापर्व शारदीय नवरात्रि की अष्टमी और नवमी क्रमशः मां महागौरी और सिद्धिदात्री की पूजा के साथ-साथ कन्या पूजन का भी विधान है. पौराणिक मान्यता है कि नवरात्रि में विधि-पूर्वक हवन करने से मां दुर्गा प्रसन्न होती हैं और अपने भक्तों पर असमी कृपा बरसाती हैं. वैदिक पंचांग के अनुसार, इस महा अष्टमी और नवमी तिथि एक ही दिन यानी 11 अक्टूबर को है. ऐसे में आइए जानते हैं घर पर नवरात्रि का हवन कैसे करें.

नवरात्रि 2024 हवन विधि

अगर विवाहित हैं तो पति-पत्नी दोनों को साथ में बैठकर हवन करें.

हवन करने के लिए सर्वप्रथम किसी स्वच्छ स्थान पर हवन कुंड का निर्माण करें या बना हुआ हवन कुंड वहां रखें.

हवन-पूजन शुरू करने से पहले भगवान गणेश का ध्यान करें. इ

गंगाजल को छिड़कर सभी देवी-देवताओं का आवाहन करें.

हवन कुंड में आम की लकड़ी, घी और कपूर डालकर अग्नि प्रज्जवलित करें.

ओम् आगन्ये नमः बोलते हुए अग्नि देव का ध्यान करें.

ओम् गणेशाय नमः बोलकर पहली आहुति दें.

इसके बाद नवग्रह देवता (ओम् नवग्रह देवतायैः नमः बोलकर) और कुल देवता (ओम् कुलदेवताय नमः) बोलकर उनका ध्यान करें.

अब क्रमश सभी देवी-देवताओं के नाम की आहुति दें.

हवन कुंड में कम से कम 108 बार आहुति दें.

देवी दुर्गा के 9 स्वरूपों का ध्यान करते हुए आहुति दें.

हवन के अंत में बची हुई हवन सामग्रियों को एक पान के पत्ते पर एकत्रित करके पूड़ी, हलवा, खीर, चना, सुपारी इत्यादि रखकर आहुति दें.

इसके बाद पूरी श्रद्धा के साथ मां दुर्गा की आरती करें. माता को पूरी-हलवा इत्यादि भोग लगाएं.

आचमन के बाद क्षमा प्रार्थना करें. इसके बाद सबको प्रसाद खिलाए.

हवन मंत्र

ॐ आग्नेय नम: स्वाहा, ॐ गणेशाय नम: स्वाहा, ॐ गौरियाय नम: स्वाहा, ॐ नवग्रहाय नम: स्वाहा, ॐ दुर्गाय नम: स्वाहा, ॐ महाकालिकाय नम: स्वाहा, ॐ हनुमते नम: स्वाहा, ॐ भैरवाय नम: स्वाहा, ॐ कुल देवताय नम: स्वाहा, ॐ स्थान देवताय नम: स्वाहा, ॐ ब्रह्माय नम: स्वाहा, ॐ विष्णुवे नम: स्वाहा, ॐ शिवाय नम: स्वाहा.

ॐ जयंती मंगलाकाली, भद्रकाली कपालिनी दुर्गा क्षमा शिवाधात्री स्वाहा स्वधा नमस्तुति स्वाहा.

ॐ ब्रह्मा मुरारी त्रिपुरांतकारी भानु: शशि भूमि सुतो बुधश्च: गुरुश्च शुक्र शनि राहु केतव सर्वे ग्रहा शांति करा भवंतु स्वाहा.

ॐ गुरुर्ब्रह्मा, गुरुर्विष्णु, गुरुर्देवा महेश्वर: गुरु साक्षात् परब्रह्मा तस्मै श्री गुरुवे नम: स्वाहा.

ॐ शरणागत दीनार्त परित्राण परायणे। सर्वस्यार्तिहरे देवि नारायणि नमोऽस्तुते॥
ॐ पूर्णमदः पूर्णमिदं पूर्णात्पूर्णमुदच्यते
पूर्णस्य पूर्णमादाय पूर्णमेवावशिष्यते
ॐ शांतिः शांतिः शांतिः

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