Indian Male River: हिंदू धर्म में जानवर, पशु-पक्षी अथवा पेड़ों से लेकर नदियों को भी पूजनीय माना जाता है। नदियां प्रकृति का एक अभिन्न अंग है और भारतीय संस्कृति में नदियों को देवी का स्वरूप माना जाता है। सभी नदियों के नाम के लिए स्त्रीलिंग का उपयोग किया जाता है। लेकिन क्या आपको पता है कि धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भारत में एक ऐसी नदी भी है जिसके नाम के लिए पुल्लिंग शब्द का इस्तेमाल होता है और उसे नदी नहीं बल्कि नद कहा जाता है। इस नद का नाम ब्रह्मापुत्र है। तो आइए जानते हैं ब्रह्मपुत्र नदी से जुड़ी कुछ मान्यताओं के बारे में।

ब्रह्मपुत्र नदी की पौराणिक मान्यता
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार पुष्कर में मौजूद ब्रह्मा जी के मंदिर के दर्शन के पश्चात ब्रह्मपुत्र नदी में स्नान करना बहुत ही आवश्यक माना जाता है। ब्रह्मपुत्र नदी को बहुत ही चमत्कारी माना जाता है। ब्रह्मपुत्र नदी में स्नान करने से ब्रह्म दोष नहीं लगता और विभिन्न प्रकार के शारीरिक कष्टों से भी मुक्ति मिलती है।
इन जगहों से बहती है ये नदी
ब्रह्मपुत्र नदी की उत्पत्ति हिमालय के उत्तर में स्थित मानसरोवर झील के निकट होता है, जो कि तिब्बत के पुरंग जिले में है। इस नदी की कुल लंबाई लगभग 27 किलोमीटर है जो भारत की दूसरी सबसे बड़ी नदी है। यह नदी भारत के अरुणाचल प्रदेश राज्य में प्रवेश करके असम घाटी से बहते हुए बांग्लादेश में प्रवेश करती हैं।
इन धर्मों में भी है इस नदी का महत्व
ब्रह्मपुत्र नदी को भारत की एकमात्र पुरुष नदी के रूप में जाना जाता है। जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है ब्रह्मा पुत्र यानी ब्रह्मा का पुत्र। इसलिए इस नदी को नद भी कहा जाता है। हिंदू धर्म के साथ-साथ बौद्ध और जैन धर्म मैं भी इस नदी को पूजनीय माना जाता है। बौद्ध धर्म का मानना है कि ब्रह्मपुत्र नदी महान झील चांग थांग पठार से निकलती है। हिंदू धर्म के अनुसार ब्रह्मपुत्र नद ब्रह्मा और अमोघ ऋषि के पुत्र हैं।
(यह ख़बर विधान न्यूज के साथ इंटर्नशिप कर रहे गौरव श्रीवास्तव द्वारा तैयार की गई है।)
तमाम खबरों के लिए हमें Facebook पर लाइक करें Twitter , Kooapp और YouTube पर फॉलो करें। Vidhan News पर विस्तार से पढ़ें ताजा-तरीन खबरें।