Bhagwan Shiv: हिंदू धर्म में भोलेनाथ को विश्व के संघारक के रूप में जाना जाता है। मान्यताओं के अनुसार भगवान शिव की उपासना करने से जातक के सभी दुख और पिड़ाएं दूर हो जाती हैं ,साथ ही उसे ज्ञान की भी प्राप्ति होती है। भगवान शिव को कई नामों से जाना जाता है जैसे भोलेनाथ, शिव, महादेव, शंभू इत्यादि। लेकिन क्या आप जानते हैं कि भगवान शिव को गुरु या आदिगुरु भी कहा जाता है। इसके पीछे कई तथ्य दिए जाते हैं। तो आइए इस लेख के माध्यम से जानते हैं भगवान शिव को क्यों कहा जाता है आदि गुरु।

कौन होता है गुरु
गुरु का अर्थ होता है शिक्षक या ज्ञानदाता अर्थात जो मनुष्य को अज्ञानता से ज्ञान की ओर ले जाता है, वही गुरु कहलाता है। गुरु अपने शिष्य को कई प्रकार के गुण सिखाता है। जीवन में उपयोग लाई जाने वाली विभिन्न नीति, अनुशासन व नियम भी गुरु से ही प्राप्त होते हैं। गुरु का स्थान भगवान से भी ऊपर माना जाता है, इसीलिए एक श्लोक में लिखा है की गुरू ब्रह्मा गुरू विष्णु, गुरु देवो महेश्वरा गुरु साक्षात परब्रह्म, तस्मै श्री गुरुवे नमः अर्थात गुरु ही ब्रह्मा है, गुरु ही विष्णु है और गुरु ही भगवान शंकर है। गुरु ही साक्षात परब्रह्म है।
भगवान शिव क्यों कहे जाते हैं आदिगुरु
महादेव मनुष्य को उनके कर्मों के बंधन से मुक्त कराने वाले माने जाते हैं। प्रमुख वेदों में भगवान शिव के कई नामों का वर्णन मिलता है जैसे अथर्ववेद में भगवान शिव को महादेव, शिव, शंभू कहा गया है। वहीं यजुर्वेद में महादेव को रौद्र और कल्याणकारी कहा गया। जबकि उपनिषद में भोलेनाथ को गुरु और जगतगुरु कहा गया और ऋग्वेद में भगवान शिव को रूद्र कहां गया है वाल्मीकि रामायण में भगवान शिव को परम गुरु के नाम से परिभाषित किया गया।
महादेव ही है ज्ञान और योग का मुख्य स्रोत
शास्त्रों में सप्त ऋषि यों के बारे में विस्तार से बताया गया है। सप्त ऋषियों का जन्म ब्रह्मा जी के मस्तिष्क से हुआ था इसलिए ये ज्ञान-विज्ञान, धर्म, ज्योतिष और योग में सर्वश्रेष्ठ थें। इन सब ऋषियों को शिक्षा प्रदान करने का दायित्व भगवान शिव के पास था, इसलिए भगवान शिव ने सर्वप्रथम इन ऋषियों को योग, कर्म और वैदिक ज्ञान की प्राप्ति कराई यानी योग धर्म-कर्म और वैदिक ज्ञान का उद्गम भगवान शिव से ही होता है और इसीलिए भोलेनाथ को आदिगुरु या आदियोगी भी कहा जाता है।
(यह ख़बर विधान न्यूज के साथ इंटर्नशिप कर रहे गौरव श्रीवास्तव द्वारा तैयार की गई है।)
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