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Varuthini Ekadashi: एकादशी के दिन क्यों नहीं खाया जाता है चावल, क्या है इसके पीछे धार्मिक कारण ? जानें

Varuthini Ekadashi: इस साल 4 मई को वरुथिनी एकादशी का त्यौहार मनाया जाएगा. एकादशी का त्यौहार करने से जन्मो जन्म के पाप मिट जाते हैं.

Varuthini Ekadashi
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Varuthini Ekadashi: वैशाख महीने के कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली एकादशी को वरुथिनी एकादशी के नाम से जाना जाता है. इस एकादशी को समस्त एकादशी में सर्वोपरि माना जाता है और इसे पापो का नाश एकादशी के नाम से भी जानते हैं. इस दिन भगवान विष्णु और कृष्ण भगवान के मधुसूदन रूप की पूजा होती है. इस बार वरुथिनी एकादशी 4 मई को मनाई जाएगी. एकादशी का व्रत करने के कुछ खास नियम होते हैं. इस दिन चावल नहीं खाया जाता है, तो आईए जानते हैं क्यों वरुथिनी एकादशी को चावल का सेवन नहीं करना चाहिए?

एकादशी के दिन क्यों नहीं खाना चाहिए चावल(Varuthini Ekadashi)

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार एकादशी का व्रत करने वाले व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है. एकादशी व्रत के दिन उन का सेवन नहीं करना चाहिए और इस दिन भूलकर भी चावल नहीं खाना चाहिए. कहां जाता है की एकादशी के दिन चावल खाना मांस खाने के जैसा है और इसके पीछे एक पौराणिक कथा भी है.

पौराणिक कथाओं के अनुसार मां भगवती के क्रोध से बचते बचते महर्षि मेधा ने अपने शरीर का त्याग कर दिया था. इसके बाद उनके शरीर का अंश धरती में समा गया जिसके वजह से धरती से चावल के पौधे की उत्पत्ति हुई. यही वजह है कि चावल को एक पौधा नहीं बल्कि जीव के समान माना जाता है.

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जिस दिन महर्षि मेधा ने अपने शरीर का त्याग किया था वह दिन एकादशी ही था इसलिए एकादशी के दिन चावल खाना माना है.इस दिन चावल का सेवन करना महर्षि मेधा के रक्त और मांस के सेवन करने के बराबर है और इस दिन चावल खाने से पाप लगता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार जो इस दिन चावल खाता है वह अगले जन्म में सर्प बनता है.एकादशी का त्योहार बहुत ही नियम धर्म से किया जाता है.

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