Sanjay Dutt Nani: तवायफ थीं संजय दत्त की नानी, शादी करने के लिए दो ब्राह्मण बने थे मुसलमान

Sanjay Dutt Nani: दलीपाबाई घर से भाग गई थीं और उन्हें जबरदस्ती कोठे में बेच दिया गया था। तब से दलीपाबाई तवायफ की ही जिंदगी जीने लगी थी। जद्दनबाई का जन्म कोठे में ही हुआ था।

Sanjay Dutt Nani: अभिनेता संजय दत्त ने बॉलीवुड को बेहतरीन फिल्में दी हैं। संजय दत्त का परिवार बॉलीवुड का जाना माना नाम रहा है। संजय दत्त अभिनेता सुनील दत्त और नरगिस के बेटे हैं। अपने जमाने में अभिनेत्री नरगिस ने कई फिल्म अवार्ड अपने नाम किए थे। मदर इंडिया फिल्म के लिए नरगिस को सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का खिताब मिला था। मगर बहुत कम लोग ही जानते होंगे कि संजय दत्त की नानी और नर्गिस की मां एक तवायफ थीं। बिहार के गया में आज भी संजय दत्त की नानी जद्दनबाई का कोठा है, जो अब वीरान हो चुका है। जद्दनबाई एक संगीतकार और अभिनेत्री भी बनी। आईए जानते हैं कि तवायफ से अभिनेत्री बनी जद्दनबाई ने कैसे अपनी बेटी नर्गिस को सुपरस्टार बना दिया…

हिंदू-मुस्लिम थीं संजय दत्त की मां 

एक मशहूर तवायफ और अभिनेत्री जद्दनबाई की बेटी नर्गिस ऐसी अदाकारा थीं, जिनकी खूबसूरती के चर्चे सारे देश में मशहूर थे। बॉलीवुड नर्गिस की एक्टिंग का लोहा माना जाता था। नर्गिस धर्म से मुसलमान थीं, लेकिन अभिनेता सुनील दत्त से शादी करने के बाद उन्होंने हिंदू धर्म अपना लिया था। मगर एक तरह से देखें तो नर्गिस पूरी तरह से मुसलमान भी नहीं थीं। क्योंकि नर्गिस के पिता हिंदू थे, जिन्होंने जद्दनबाई से शादी करने के लिए मुस्लिम धर्म अपनाया था।नरगिस का असली नाम फ़ातिमा रशिद है।

खूबसूरत तवायफ थीं जद्दनबाई 

एक समय जद्दनबाई की खूबसूरती लाखों लोगों को दीवाना बना देती थी। जद्दनबाई पेशे से एक तवायफ थीं। जद्दनबाई की मां दलीपाबाई भी तवायफ थीं। एक ऐसी तवायफ थी जिनके गाने सुनने का शौक, मुगलों की शान हुआ करता था और एक कोठे से ही भारत को पहली महिला संगीतकार भी मिलीं थीं। उस समय तवायफ के पेशे से भी ज्यादा बुरा लड़कियों का फिल्मों में काम करना माना जाता था।

मां ने बनाया था जद्दनबाई को तवायफ

दलीपाबाई घर से भाग गई थीं और उन्हें जबरदस्ती कोठे में बेच दिया गया था। तब से दलीपाबाई तवायफ की ही जिंदगी जीने लगी थी। जद्दनबाई का जन्म कोठे में ही हुआ था। जद्दनबाई बहुत सुंदर थीं और है तरफ उनके चाहने वाले थे। जद्दनबाई की सुंदरता में मोहित हो कर ही हिंदू राजा ने उन्हें बिहार के गया में महल भेंट किया था। उसी महल में जद्दनबाई का कोठा सजता था।

फिल्मों के साथ बनी संगीतकार

अभिनेत्री बनने के लिए जद्दनबाई कोलकाता पहुंच गई थीं। वहां उन्होंने फिल्मों में काम भी किया और संगीत में भी नाम कमाया। इस दौरान जद्दनबाई की दो बार शादी भी की। दोनों ही हिंदू थे। जद्दनबाई से शादी करने के लिए इन दोनों ब्राह्मण युवक ने अपना हिंदू धर्म त्याग कर मुसलमान बन गए थे।

जद्दनबाई के प्यार में दो ब्राह्मण बने मुस्लिम

चंद सालों में पहला पति नरोत्तम जद्दनबाई छोड़ कर चला गया और कभी लौटा ही नहीं। सालों बाद कोठे में ही हार्मोनियम बजाने वाले उस्ताद इरशाद मीर ने इनसे शादी कर ली जिनसे इन्हें दूसरा बेटा अनवर खान हुआ। दूसरी शादी भी टूट गई। इसके बाद कोलकाता के ब्राह्मण परिवार के मोहनचंद बाबू को जद्दनबाई से प्यार हो गया। मोहन बाबू ने जद्दनबाई के लिए अपना नाम अब्दुल राशिद रख लिया। मोहनबाबू ने अब्दुल रशीद बनकर जद्दनबाई से शादी की थी। कोलकाता में ही नर्गिस का जन्म हुआ। नर्गिस जद्दनबाई और मोहन बाबू की बेटी थीं।

कोठे में पली थी नर्गिस

कोलकाता में जन्मी नरगिस का पालन-पोषण एक कोठे में हुआ था। जद्दनबाई ने फिल्म प्रोडक्शन में भी किस्मत आजमाई, पहली फिल्म में अपने बेटे को कास्ट किया। मगर जद्दनबाई कर्जे में डूब गईं। कर्ज को उतारने के लिए जद्दनबाई ने बेटी नर्गिस को भी हीरोइन बना दिया। नरगिस ने अपने करियर की शुरुआत बतौर चाइल्ड आर्टिस्ट ही की थी। जब उन्होंने सिनेमा में कदम रखा था तब वह महज पांच साल की थीं।

कैंसर से हुई मां-बेटी की मौत

नरगिस को 14 साल की उम्र में तकदीर फिल्म से पहचान मिली। जद्दनबाई चाहती थीं कि अपनी बेटी नरगिस को सुपरस्टार बनते देखे लेकिन अफसोस ये सपना उनका पूरा नहीं हो पाया। जद्दनबाई की कैंसर से मौत हो गई थी। नरगिस सुपरस्टार हीरोइन बनी और उन्होंने सुनील दत्त से शादी की। साल 1981 में नरगिस की मौत भी कैंसर से हुई और उन्हें भी अपनी मां जद्दनबाई की कब्र के पास ही दफनाया गया।

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