Deepfake Technology: जानें क्या है डीपफेक टेक्नोलॉजी, बचाव के लिए इन AI टूल्स का करें इस्तेमाल

Deepfake Technology: दुनियाभर में डीपफेक टेक्नोलॉजी काफी तेजी से फेल रहा हैं। जिसकी वजह से काफी लोग नुकसान झेल रहे है।

Deepfake Technology: डीपफेक टेक्नोलॉजी आजकल काफी फेमस हो रहा है और इसका परिणाम कई लोग भुगत रहे हैं। साइंस जहां हमारे लिए वरदान है वहीं हमारे लिए अभिशाप भी है। बता दें कि आज के इस जमाने में लोग डीपफेक टेक्नॉलोजी से होने वाले परिणाम को भुगत रहे हैं। जिसके काफी दुर्गामी रिजल्ट है। आइए जानते हैं डीप फेक टेक्नोलॉजी के बारे में..

Deepfake Technology: डीपफेक टेक्नोलॉजी

डीपफेक एक ऐसी टेक्नोलॉजी है जो फोटो और वीडियो की हेर फेर करके रियल बनाया जाता है। वीडियो रियल मालूम पड़े इसलिए टेक्नोलॉजी में Generative Adversarial Networks (GANs) का इस्तेमाल किया जाता है औरडीपफेक टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल 2017 में किया गया था, लेकिन 2020 तक डीपफेक टेक्नोलॉजी रिफाइन हो गया जिसकी वजह से अब फर्क पहचानना मुश्किल है।

एआई कंटेंट क्रिएटर

कुछ एआई कंटेंट क्रिएटर अपने वीडियो में वाटरमार्क लगाते है जिससे आप पता लगा सकते है की वीडियो डीपफेक है या नहीं। ऑनलाइन कई टूल्स उपलब्ध है जिससे आप पता लगा सकते है की वीडियो फेक या रियल और Deepware Scanner , AI or Not और Hive Moderation जैसे टूल से आप पता लगा सकते है। इसलिए डीपफेक कम करने के लिए री-सर्चर, पॉलिसी मेकर और बड़ी टेक कंपनियां काम कर रहीं हैं।

फेक वीडियो और इमेज

ये टेक्नोलॉजी ऐसी एल्गोरिदम और पैटर्न को लर्न करती है। ये टेक्नोलॉजी Generative Adversarial Networks (GANs) का इस्तेमाल करती है जिससे फेक वीडियो और इमेज बनाये जाते हैं। इससे बनी वीडियो और इमेज पर लोग आसानी से भरोसा भी कर लेते हैं।

अगर आपको लगता है कि कोई वीडियो या इमेज डीपफेक है तो उसमें हुए बदलावों पर ध्यान रख सकते हैं। आजकल बहुत सारे एआई टूल मौजूद हैं जो एआई जनरेटेड कंटेंट को आसानी से कॉपी कर लेते है।

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