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Hiv Vaccination: अब 2 टीकों से होगा HIV का इलाज, वैज्ञानिकों ने खोजा नया वैक्सीनेशन तरीका, जानें सबकुछ

Hiv Vaccination: एमआईटी के शोधकर्ताओं ने अपनी अध्ययन में पाया है कि पहली वैक्सीन खुराक प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करती है। इसके एक सप्ताह बाद दी जाने वाली दूसरी खुराक रोगी के शरीर को और भी अधिक मजबूती प्रदान करने में सहायक होती है।

hiv-vaccination-MIT-research-approach
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Hiv Vaccination: दुनिया भर में HIV के इलाज के लिए कई प्रयास किए गए हैं, लेकिन अभी तक इसका कोई सफल इलाज नहीं मिला है। इस बीमारी से प्रभावित व्यक्तियों की मौत को अक्सर निश्चित माना जाता है। हाल ही में एमआईटी के शोधकर्ताओं ने एक ऐसी वैक्सीन विकसित की है, जो एड्स (AIDS) रोगियों के लिए फायदेमंद हो सकती है। शोध में दावा किया गया है कि वैक्सीन की दो खुराक HIV को खत्म करने में सक्षम हैं।

एमआईटी की एचआईवी वैक्सीन

एचआईवी वैक्सीनेशन के क्षेत्र में एक प्रभावी वैक्सीन का विकास चुनौतीपूर्ण माना जाता है। इसका मुख्य कारण इस वायरस का तेजी से बदलना है, जो शरीर पर वैक्सीन के प्रभाव को कम करता है। एमआईटी के शोधकर्ताओं ने जो वैक्सीन विकसित की है, उसमें पहली खुराक प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करती है। इसके बाद, एक सप्ताह के भीतर दूसरी खुराक दी जा सकती है, जो पहले से मजबूत प्रतिरक्षा प्रणाली के साथ अधिक प्रभावी होगी।

चूहों पर शोध

इस अध्ययन में कम्प्यूटेशनल मॉडलिंग और चूहों पर प्रयोग शामिल किए गए। पहली छोटी खुराक से प्रतिरक्षा प्रणाली को तैयार किया जाता है, जिससे शरीर दूसरी डोज के लिए तैयार हो सके। एमआईटी में जॉन एम. डच इंस्टीट्यूट के प्रोफेसर एरूप चक्रवर्ती ने कहा, “फिजिक्स और जीवन विज्ञान को मिलाकर, हमने इस विषय पर नए प्रश्नों का उत्तर दिया है।” उन्होंने सात खुराकों पर शोध के बाद इन दो प्रभावी वैक्सीनों को विकसित किया है।

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कैसे काम करेगी वैक्सीन ?

एचआईवी हर साल लगभग 1 मिलियन (10 लाख) लोगों को संक्रमित करता है। कई क्षेत्रों में, एंटीवायरल दवाएं उपलब्ध नहीं होती हैं, जिससे रोगियों के लिए स्थिति और भी कठिन हो जाती है। एमआईटी की टीम ने यह जानने की कोशिश की कि इस बीमारी के खिलाफ प्रभावी प्रतिक्रिया कैसे विकसित की जाए और यह भी कि क्या कम वैक्सीनेशन खुराक के माध्यम से भी प्रभावी परिणाम मिल सकते हैं।

शोधकर्ताओं ने प्रारंभिक रूप से 12 दिनों के भीतर लगभग सात खुराकों के प्रभावों की तुलना की। इस दौरान उन्होंने देखा कि तीन या अधिक खुराकों से जो मजबूत एंटीबॉडी प्रतिक्रियाएं विकसित हुईं, वो केवल दो खुराकों में भी संभव थीं। इसके बाद, खुराक के अंतराल और अनुपात में बदलाव किया गया, जिसके परिणामस्वरूप शोधकर्ताओं को केवल दो खुराकों से ही संतोषजनक प्रतिक्रियाएं मिलीं।

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