Mood Swings : दिमाग के इस क्षेत्र में होती है हलचल और हो जाता है ‘मूड स्विंग’

Mood Swings: दिमाग के काम करने के तरीके और  मूड खराब होने के बीच संबंधों का पता लगा लिया गया है। वैज्ञानिकों का दावा है कि इस शोध से उदासी और तनाव के शिकार लोगों का बेहतरीन ढंग से इलाज किए जाने में मदद मिल सकेगी।

Mood Swings: अक्सर ही हम देखते हैं कि अच्छे खासे लोगों का मूड कभी भी खराब हो जाता है जबकि मूड खराब होने की कोई खास वजह भी नहीं होती ये बस हो जाता है। अंग्रेजी में इसे मूड स्विंग होना कहा जाता है। महिलाओं के साथ ऐसा ज्यादा ही होता है जिसके और भी कई कारण होते हैं लेकिन, बाकी लोगों के साथ भी मूड स्विंग की परेशानी हो जाती है। बच्चे भी इससे बचे हुए नहीं हैं।

आखिर कभी सोचा है कि क्यों मूड में इस तरह का बदलाव होता है जो कारण-अकारण हमारे मूड (Mood Swings) को परिवर्तित कर देता है और हम अचानक से उदास होने लगते हैं। नैशविले के वेंडरबिल्ट यूनिवर्सिटी के मनोवैज्ञानिकों ने अपनी शोध में इस बात का पता लगाया है। शोध के जरिए दिमाग के काम करने के तरीके और खराब मूड के बीच संबंध उजागर किया गया है। वैज्ञानिकों का दावा है कि इस शोध के बाद ऐसे लोगों का इलाज किया जा सकता है जो उदासी के शिकार होते हैं।

यह भी पढ़ें- प्रजेंटेबल बनाने के साथ, मूड भी ठीक कर देता है मेकअप

दिमाग की स्कैनिंग ने खोला राज

अध्ययनकर्ताओं के मुताबिक, लोगों के दिमाग में एक क्षेत्र है जो उनके खराब मूड के लिए विशेष तौर पर जिम्मेदार होता है। वैज्ञानिकों ने लोगों के मस्तिष्क का स्कैन कर इस बात का पता लगाया। स्वस्थ लोगों के मस्तिष्क का स्कैन करने पर पता सामने आया कि जो लोग मूड खराब होने की शिकायत करते हैं उनके मस्तिष्क (Mood Swings) के एक क्षेत्र में गतिविधियां एकाएक बढ़ जाती हैं।

मस्तिष्क के इस क्षेत्र को ‘वेंट्रोमेडियल रेफिट्रल कॉर्टेक्स’ के नाम से जाना जाता है। वेंट्रोमेडियल रेफिट्रल कॉर्टेक्स’ लोगों की दाईं आंख के पीछे एक या दो इंच नीचे होता है। यही वो क्षेत्र है जहां से मनुष्य की भावनाएं संचालित होती हैं। यह अध्ययन नैशविले के वेंडरबिल्ट यूनिवर्सिटी के मनोवैज्ञानिक डॉक्टर डेविड और उनकी टीम द्वारा किया गया।

यह भी पढ़ें- तुम इतना जो मुस्‍कुरा रहे हो मतलब अवसाद को छुपा रहे हो!

इस तकनीक का किया प्रयोग

शोधकर्ताओं ने अपने अध्ययन के दौरान, मस्तिष्क की गतिविधियों का पता लगाने के लिए पॉजिट्रॉन इमिशन टोमोग्राफी तकनीक का प्रयोग किया। शोधकर्ताओं के  मुताबिक, स्कैन करते वक्त उदासी की शिकायत करने वालों की इमेज पर ध्यान दिया तो वहां कि गतिविधियां उदासी की शिकायत न करने वाले लोगों के दिमाग की गतिविधियों से भिन्न थीं। जब इस बात का विश्लेषण किया गया तो दिमाग के उस हिस्से के बारे में पता चला जो हमारे खराब मूड के लिए जिम्मेदार है। वैज्ञानिकों ने कहा कि दिमाग के काम करने के तरीके और खराब मूड (Mood Swings) के बीच संबंध का पता लगने से अब उदास लोगों के इलाज में मदद मिलेगी जिससे भविष्य में वह तनाव और अवसाद का शिकार होने से भी बच सकेंगे।

जैसा की हम सभी जानते हैं कि तनाव और अवसाद सबसे पहले उदासी से ही शुरू होते हैं। पहले इंसान उदास होने लगता है जिसका कारण भी उसे पता नहीं होता। धीरे-धीरे अगर उदासी बार-बार होने लगती है तो इससे वह अवसाद में भी जा सकता है।

तमाम खबरों के लिए हमें Facebook पर लाइक करेंTwitter , Kooapp और YouTube  पर फॉलो करें। Vidhan News पर विस्तार से पढ़ें ताजा-तरीन खबरें।

- Advertisement -

Related articles

Share article

- Advertisement -

Latest articles