Home Pollution: घर से बाहर निकलते ही हम धूल, मिट्टी और प्रदूषण से खुद को बचाने के हर संभव प्रयास करते हैं। घर से बाहर निकलते वक्त लोग अपने नाक और मुंह को ढक लेते हैं। ताकि बाहर की गंदी हवा से खुद को सुरक्षित रख पाएं। लेकिन क्या आपको पता है कि बाहर की तरह ही घर पर भी प्रदूषण फैला होता है। जी हां, यह सुनने में भले ही अजीब लगे लेकिन यह बिल्कुल सही है। बाहर से ज्यादा पॉल्यूशन हमारे खुद के घरों में होता है। आइए जानते हैं की घर में प्रदूषण किस रूप में छिपा रहता है…

घर के अंदर का पॉल्यूशन बहुत ज्यादा खतरनाक होता है। रिपोर्ट के मुताबिक, घर के अंदर खाना पकाने वाली हानिकारक केमिकल के कारण भारत में लगभग हर साल 13 लाख मौत होती है। यह बाहर से आने वाली धुंई की तुलना में 10 गुना अधिक नुकसान देने वाली होती है।
फेफड़ों के लिए घातक है रसोई का धुंआ
रसोई से निकलने वाला यह रसायनिक धुंआ फेफड़ों पर काम करता है, जो कई तरह की लंग्स की बीमारियां पैदा कर सकता है। इस परिस्थिति से स्वास्थ्य खराब हो सकता है। भारत में खाना बनाने वाले चुल्हें की हवा से भोजन की गुणवत्ता खराब होती है। Heart Care Foundation of India (HCFI) के अनुसार, लोग अपनी जिंदगी का 90% से अधिक वक्त घर में बिताते हैं। 50 प्रतिशत से अधिक लोग घर से काम करते हैं, घर में पैदा होने वाली धुंआ से कई बीमारियां पैदा होती है।
रेफ्रिजरेटर और ओवन जैसे उपकरणों का इस्तेमाल करने पर उनसे निकलने वाली गैस भी शरीर के लिए काफी ज्यादा घातक होती है। घर में होने वाले इस सफेद और ट्रांसपेरेंट धुंआ से शरीर पर कई नकारात्मक प्रभाव होते हैं। जिनमें सफाई के उत्पाद, कार्बनिक पदार्थ, धूल, एलर्जी, उच्च तापमान और आर्द्रता शामिल हैं। यह सभी घर की स्वच्छ वायु को प्रदूषित कर उसे हानिकारक बनाते हैं।
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इनडोर वायु प्रदूषण से होती हैं बीमारियां
भारत में घर के अंदर वायु की गुणवत्ता के लिए कोई आधिकारिक मानक नहीं है। ऐसे में इनडोर वायु प्रदूषण से लोगों का स्वास्थ्य प्रभावित होता है। घर के वायुमंडल से आंखों, नाक और गले में जलन, सिरदर्द, चक्कर आना और थकान होती है, यह भी हृदय रोग और कैंसर का कारण बन सकता है।
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