Sindur Plant vs Market Sindur : भारत देश में हिंदू धर्म की सुहागिन महिलाएं हर रोज़ सिंदूर का इस्तेमाल करती हैं। आजकल बाजार में बिकने वाला सिंदूर ही सभी जगह मिलता है। हालांकि बाजार में उपलब्ध सिंदूर चूना, हल्दी और मरकरी को मिलाने के बाद तैयार होता है। इस सिंदूर के फायदे कम और नुकसान ज्यादा है। मगर क्या आप जानते हैं कि एक समय था जब सिंदूर कमालिया नाम के पौधों के फूल से बनाया जाता था। खास बात यह है कि इस सिंदूर से कोई साईड इफेक्ट भी नहीं होता था। आईए जानते हैं दोनों तरह के सिंदूर में क्या अंतर है…
चूना से बनता है बाजार में बिकने वाला सिंदूर
बाज़ार में बिकने वाला सिंदूर त्वचा के लिए हानिकारक होता है। चिकित्सकों ने तो बाजार में बिकने वाले सिंदूर को सेहत के लिए नुकसानदायक तक बताया है। इसे लगाने वाली सुहागिन महिलाओं को कई तरह की त्वचा रोग संबंधी समस्याएं होती हैं। क्योंकि यह सिंदूर चूना, हल्दी और मरकरी के मिश्रण से तैयार किया जाता है। जिसमें चूना अधिक गर्म तासीर का पदार्थ है जो त्वचा को रूखा कर उसे शुष्क बना देता है।
पहले कमलिया पौधे से बनता था सिंदूर
जब यह सिंदूर नहीं होता था तो प्रकृति में एक ऐसा भी पौधा मौजूद था, जिसकी मदद से प्राचीन काल से ही महिलाएं सिंदूर का प्रयोग करती थीं। इस पौधे को सिंदूर का पौधा या कमालिया (kamila) कहते हैं। सामान्य से दिखने वाला यह सिंदूर का पेड़ दूसरे पौधों से काफी अलग होता है। इसके फल के बीज को हाथ से छूते ही प्राकृतिक रंग की वजह से लाल हो जाता है। इसी वजह से महिलाएं इस पौधे के बीज को सिंदूर और लिपस्टिक के रूप में भी इस्तेमाल करती रही हैं।
कमालिया के रंग के अन्य फायदे
सिंदूर का पौधा दक्षिणी अमेरिका के साथ-साथ कई और एशियाई देशों में भी उगाया जाता है। अमेरिकी देशों में इसके प्राकृतिक रंग का सौंदर्य प्रसाधन में प्रयोग किया जाता है। इसके अलावा इसके रंग को खाद्य पदार्थों में भी प्रयोग किया जाता है। इसके अलावा पेंट बनाने में भी इसके प्राकृतिक रंग का इस्तेमाल होता है।
लखनऊ में भी है सिंदूर का पौधा
देश में यह पौधा हिमाचल प्रदेश और महाराष्ट्र के कई इलाकों में व्यवसायिक तौर पर उगाया जाता है। उत्तर प्रदेश में यह पौधा बहुत कम देखने को मिलता है। लेकिन लखनऊ के नेशनल बोटैनिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट के बाग में भी यह पौधा मौजूद है। इसके एक पौधे से डेढ़ किलो तक सिंदूर के बीज निकलते हैं। इस पौधे के बारे में एनबीआरआई के प्रधान वैज्ञानिक डॉ महेश पाल बताते हैं कि यह पौधा बहुत ही गुणकारी होता है। सामान्यतः रंग के लिए इसके बीजों का इस्तेमाल किया जाता है। इसमें लाल रंग की सबसे ज्यादा अधिकता होती है। अमेरिकी देशों में तो निकलने वाले रंग को सौंदर्य प्रसाधन और खाद्य पदार्थों में भी उपयोग किया जाता है।
सिंदूर के पौधे से ऐसे बनता है सिंदूर
इस विधि से घर में उगाएं सिंदूर का पौधा
सिंदूर के पौधे को उगाने के लिए इसके बीज और नर्सरी के माध्यम से इसे गमले में भी लगाया जा सकता है। हालांकि इस पौधों को उगाने के लिए निश्चित जलवायु का महत्व होता है। इस पौधों के लिए ज्यादा खाद और पानी की जरूरत नहीं होती है। अगर ज्यादा खाद और पानी दे दिया तो पेड़ में फिर फल नहीं आएंगे। इसलिए सिंदूर का पौधा बहुत कम जगहों पर ही पाया जाता है। क्योंकि इसकी पैदावार आसानी से नहीं हो पाती है।
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