Snakes & ladders Game: बचपन में सभी ने सांप सीढ़ी का खेल जरूर खेला होगा। समय के साथ सांप सीढ़ी खेल का माध्यम बदलता गया है, लेकिन खेल वहीं है। पहले कार्ड बोर्ड में सांप सीढ़ी खेल बना आता था अब इसे मोबाइल में ऑनलाइन भी खेला जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि सांप सीढ़ी खेल की दशक पहले भी खेला जाता था। हां, तब इस खेल को अलग ढंग से खेला जाता था। आज इस लेख में हम आपको बताएंगे कि सांप सीढ़ी खेल का अविष्कार कहां हुआ था और पहले किसे क्या कहकर बुलाते थे…
भारत ने खोजा था सांप सीढ़ी खेल
सांप सीढ़ी खेल बहुत ही पुराना खेल है। साँप-सीढ़ी का खेल बोर्ड पर खेला जाने वाला खेल है। इस खेल की खोज भारत में ही हुई थी। इसे 13वीं शताब्दी में कवि संत ज्ञान देव ने तैयार किया था और इसे मूल रूप से मोक्षपट कहते थे।
सांप और सीढ़ी को कहते हैं मोक्ष पाटम
भारत में सांप और सीढ़ी खेल को ‘मोक्षपातम्’ या ‘परम् पदम्’ या ‘ज्ञान चौपड़’ कहते थे। जिसे मूल रूप से मोक्ष पाटम के नाम से जाना जाता है।
13वीं शताब्दी में हुई थी शुरुआत
सांप और सीढ़ी खेल दूसरी शताब्दी ईसा पूर्व से खेला जा रहा है। मगर मूल रूप से यह खेल 13वीं शताब्दी से खेलना शुरू हुआ था।
19वीं शताब्दी में बदला स्वरूप
इस गेम को नया रूप तब मिला, जब यह 19वीं शताब्दी में इंग्लैंड पहुंचा। शायद इंग्लैंड के शासक इसे अपने साथ ले गए थे। 1943 में ये जब यह खेल USA पहुंचा तो वहां मिल्टन ब्रेडले ने इसे एक नया रूप दिया।
पहले दो लोग खेलते थे सांप सीढ़ी
सांप सीढ़ी गेम दो या दो से अधिक खिलाड़ियों के लिए एक प्राचीन भारतीय बोर्ड गेम है जिसे आज दुनिया भर में क्लासिक माना जाता है। यह एक गेम बोर्ड पर क्रमांकित, ग्रिड वाले वर्गों के साथ खेला जाता है।
पुराने खेल में कम थी सीढ़ी की संख्या
खेल में सीढ़ियां अच्छे कर्मों को और सांप बुरे कर्म को दर्शाते हैं। अच्छे कर्म हमें 100 (मोक्ष) के नजदीक लेकर जाते हैं, वहीं बुरे कर्म हमें कीड़े-मकौड़े के रूप में दुबारा जन्म लेने का जिम्मेदार बनते हैं। बताया जाता है कि पुराने खेल में सांपों की संख्या सीढ़ियों से ज्यादा थी, जो यह दर्शाता था कि अच्छाई का रास्ता बुरे रास्ते से मुश्किल होता है।
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