Brahma Kumaris: आज ज्यादातर हर पेरेंट्स की शिकायत होती है कि बच्चे अपना अधिक समय मोबाइल पर गेम देखने या फिर चैटिंग करने में ही बिताते हैं। जितना समय स्कूल या ट्यूशन का होता है उसे छोड़कर उनकी कोई और एक्टिविटीज होती ही नहीं है। ऐसे में बच्चों के अंदर अच्छे संस्कार लाना और उन्हें आध्यात्मिकता के लिए प्रेरित करना एक सपने जैसा लगता है।
आपको सुनकर आश्चर्य होगा कि बंगाल का एक ऐसा जिला भी है जहां कुछ बच्चे ऐसे हैं जो शिक्षा के साथ साथ अपने जीवन को सुंदर बनाने के लिए ध्यान योग भी करते हैं।
पहले योग तब स्कूल
यह जिला है बंगाल का जिला जलपाईगुड़ी। यहां राजगंज सेंटर में रोजाना सुबह बड़ी संख्या में बच्चे ओम शांति की ध्वनि के साथ योग ध्यान करते हैं और फिर अपने स्कूल के लिए निकल जाते हैं। ये बच्चे स्कूल की पढाई में जितने तेज हैं उतने ही आध्यात्मिकता शिक्षा में भी आगे हैं। ये छोटे छोटे बालयोगी रोजाना सुबह और शाम प्रजापिता ब्रह्माकुमारीज इश्वरीय विश्वविद्यालय में आते हैं और क्लास करते हैं।
उम्र से परे है आध्यात्मिकता
कौन कहता है कि आध्यात्मिकता की एक उम्र होती है। इन बच्चों से मिलकर यह धारणा गलत लगती है। इनसे हम सभी को सीखना चाहिए, जहां एक ओर बच्चे टीवी, ऑनलाइन गेम्स और गलत संस्कारों के चक्कर में फंसे रहते हैं, वहीं ये बच्चे अपना समय सफल कर रहे हैं।
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वे अपने जीवन के साथ साथ कई और बच्चों के लिए प्रेरणा बन रहे हैं, योग ध्यान से इनकी एकाग्रता शक्ति बढ़ रही है। साथ ही इन्हें जीवन के मूल्य भी पता चल रहे हैं, ये जीवन की आने वाली सभी कठिनाईयों के लिए मजबूती से तैयार हो रहे हैं।
परमात्मा की याद में
इन बच्चों के अंदर ऐसे संस्कार पैदा हो रहे हैं, जो आज के समय में बहुत आवश्यक हैं। इनमें प्रेम, स्नेह, सदभावना, सहयोग, इनका सर्वांगिन विकास हो रहा है, शिवरात्रि, क्रिसमस, जन्माष्टमी, ये बच्चे हर त्योहार को बड़े ही धूम धाम से परमात्मा की याद में मनाते हैं।
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राजंगज सेंटर की प्रभारी और सालों से मेडिटेशन की प्रेक्टिस करतीं बीके दिप्ती बताती हैं कि वैसे तो सारे ही बच्चे हर क्षेत्र में आगे हैं लेकिन रिया, लिपन और कई सारे ऐसे भी हैं जो दूसरे बच्चों के लिए प्रेरणा हैं, स्कूल में भी अव्वल आते हैं। उनके माता-पिता बहुत ही खुश हैं।
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