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Cricket and Life: क्रिकेट भी तो लाइफ है जहां कोई खिलाड़ी, तो अनाड़ी है कोई !

Cricket and Life: अब चढ़ने वाला है क्रिकेट विश्‍व कप का बुखार, क्रिकेट जितना फन है उतना ही आईना भी है जिंदगी का।

Cricket and Life

Cricket and Life: जी हां, यहां भी अपेक्षाओं का बोझ है तो विरोधियों का जोरदार हमला, हर हाल में प्रदर्शन का दबाव है क्रिकेट ठीक उसी तरह जैसे जिंदगी में रहता है। पर इसी तनाव दबाव और अपेक्षाओं के बोझ तले दबे कोई खिलाड़ी शुरमा बनकर निकलता है तो कोई बीच राह पलायन कर जाता है। गौर कीजिए कुछ गज-मीटर के दायरे की पिच पर, 11-11 खिलाडिय़ों के दो दलों के बीच तय ओवरों में जो कुछ घटता है, वहां आपकी जिंदगी से मिलती-जुलती चीजें चल रही होती हैं।

हर खिलाड़ी से आप खुद को जोड़कर देखें तो आपको लगेगा ओह यह मैं तो नहीं। फिर ऐसा क्या होता है कि जिंदगी में हम उस स्तर को नहीं छू पाते जो हमारे प्रिय और आदर्श समझे जाने खिलाड़ी कर दिखाते हैं? क्रिकेट हो या कि कोई भी खेल हम वहां से जिंदगी के बेहतरीन सबक ले सकते हैं। यह चीज एकबारगी नहीं आती, इसके लिए खुद को प्रशिक्षित करना होता है। धोनी हमेशा कहते हैं कि वे किसी भी कीमत पर खुद पर दबाव हावी होने नहीं दे सकते। दरअसल, उन्‍होंने इस बात के लिए खुद को इतना प्रशिक्षित कर लिया है कि दुनिया कहती है मिस्‍टर कूल।

चुनना आपको है अच्‍छा या बुरा

यहां बहुत हैं जो चैंपियन बनना चाहते हैं उनकी तरह ऊंचाई पर चढ़ने वाली सीढिय़ां देखते तो हैं पर उस पर चढ़ पाने की कोशिश नहीं करते। एक साक्षात्‍कार में पाक के पूर्व कप्तान वसीम अकरम ने सचिन के बारे में एक बात उजागर किया, जो प्रेरित करती है। उन्‍होंने कहा कि ’90 के दशक में भी स्लेजिंग चल रही थी। पर ‘स्लेज उस बल्लेबाज को किया जाता है जिसे गुस्सा आता हो। सचिन तो शांत रहते थे। वे तो स्लेजिंग से मोटिवेट होते थे, इसलिए हमने उन्हें कुछ कहना बंद कर दिया था।

खुद सचिन ने भी बताया कि कैसे वे गेंदबाज के ध्यान भटकाने वाले अपशब्दों के कारण अपना फोकस नहीं भूलते थे। कह सकते हैं कि चाहे दबाव का माहौल हो, खीझ आती हो पर खुद को संभालना आ गया और इन खिलाडिय़ों का अपने काम के प्रति ऐसा समर्पण अपना ली जाए तो जिंदगी की दिशा बदल सकती है। यह पूरी तरह आप पर होता है कि आप फोकस रहकर अच्छाई चुनते हैं या बुरी बातों के प्रभाव में आ जाते हैं।

चैंपियन नहीं छोड़ते वैल्यूज

ओवल में 9 जून को भारत-ऑस्ट्रेलिया मैच में दर्शकों ने स्टीव स्मिथ की हूटिंग की थी। वहां दर्शकों ने स्मिथ के सामने चीटर-चीटर के नारे लगाए। मैच जीतने के बाद भारतीय कप्तान विराट कोहली ने दर्शकों के इस बर्ताव के लिए स्मिथ से माफी मांगी। दरअसल, मार्च 2018 में स्टीव स्मिथ पर बॉल टैम्परिंग के कारण एक साल का प्रतिबंध लगा था, जो बाद में खत्म भी हुआ। पर यदि आपका वैल्यू सिस्टम ठीक है तो आपको यह बहुत आगे ले जाएगा। आप लड़खड़ा जाएंगे, लुढ़क जाएंगे पर खड़े हो सकते हैं फिर से।

प्रेम, सहानुभूति और माफ कर देने, जैसे इंसानी मूल्य आपकी मानसिक सबलता का परिचय देता है। विराट इसके बेहतरीन मिसाल बनकर निकले। न केवल विराट के प्रशंसक बल्कि खुद स्मिथ ने कोहली की तारीफ की। क्या हम अपनी जिंदगी में ऐसे मूल्यों को अपना रहे हैं? एकबार कपिल ने भी कहा कि ईमानदारी ही काम आती है। आप कुछ समय के लिए धोखे में रह सकते हैं लेकिन आखिर में ईमानदारी ही आपके काम आने वाली है। इसी तरह राहुल द्रविड़ की बात कैसे भूल सकते हैं जब उन्‍होंने कहा कि हार या जीत ग्यारह सदस्यों वाली टीम में चयन में नहीं बल्कि वे ग्यारह मैदान पर कैसा प्रदर्शन करते हैं, उस पर टिकी होती है।

लगातार इंप्रूव करने की लगन

आप पर सोशल मीडिया का दबाव है। आप पर अपनी दिनचर्या की छोटी-छोटी बाधाओं को पार करने का दबाव है। क्लाइंट का दबाव, टार्गेट का दबाव और इन सबके बीच कोई अनहोनी हो जाए तो उस सदमे से उबरकर दोबारा शुरूआत करने का दबाव। पर ध्यान दें, खिलाडिय़ों और आपमें यहां एक बड़ा अंतर है। क्रिकेटर्स तमाम दबावों का सामना स्मार्ट तरीके से करते हैं।

आप सोशल मीडिया छोड़ नहीं पाते। आप पार्टी नहीं छोड़ पाते, आप कोई लत नहीं छोड़ पाते लेकिन जो बेहतर खिलाड़ी हैं, जो लगातार इंप्रूव कर रहे हैं, उनका इन सबपर कमांड होता है। जाहिर है, वे फिटनेस से कोई समझौता नहीं करते। पर आप फिटनेस से आसानी से समझौता कर लेते हैं। खिलाड़ी फेल होते हैं, बड़ी हार का सामना करते हैं। करियर खत्म होने की कगार पर पहुंचकर भी डिप्रेसन को गले नहीं लगाते बल्कि जबरदस्त वापसी कर लेते हैं।

क्रिकेट और जिंदगी की जंग में

  • क्रिकेट में जैसे बल्लेबाज हर गेंद अपनी क्षमता के अनुसार खेलता है। जिंदगी में भी वही चीज देख सकते हैं आप। यहां भी रक्षात्मक खेलें या आक्रामक यह आप तय करते हैं।
  • जिंदगी में भी बाउंसर को छोडऩा होता है। लूज यानी हल्की बॉल को सुनहरे अवसर में बदलकर चौके-छक्के लगाते हैं लोग। अच्छी बॉल आए तो उस चुनौती का सामना कूल होकर करें।
  • जब चौके-छक्के नहीं मिले तो क्या सिंगल-कपल लेते रहना जरूरी है यानी चुप नहीं बैठना चलते जाना।
  • बॉलर अपील तो खूब करेगा लेकिन अंपायर ही निर्णय लेगा इसलिए निश्चिंत रहें। अंपायर आप ईश्वर को कह सकते हैं या फिर होनी को।
  • अपने साथी जिनके साथ खेल रहे हैं उनके साथ अच्छी समझ बनाए रखना आपको रन आउट से रोक सकता है। जिंदगी में भी ऐसी तालमेल चाहिए।तमाम खबरों के लिए हमें Facebook पर लाइक करें Twitter , Kooapp और YouTube पर फॉलो करें। Vidhan News पर विस्तार से पढ़ें ताजा-तरीन खबरें।
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